• 99
  • 1 minute read

योगी का नाम प्लेट फतवा से साबित होता है कि, : आधुनिक समाज में भी संघ व संघी जंगली जमात है…!

योगी का नाम प्लेट फतवा से साबित होता है कि, : आधुनिक समाज में भी संघ व संघी जंगली जमात है…!

         देश के बटवारे के बीज ब्राह्मण्यवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हिंदू महासभा व सावरकरने बोये है. यही बीज की उपज है की आजाद भारत के नागरिकों को आपस में बाटने काम आज भी ब्राह्मणी व्यवस्थाके माध्यम से कर रहा है. वैसे तो ब्राह्मणी व्यवस्थाने मनुवाद के माध्यमसे हजारो वर्षं से समाज को बाटने का ही काम किया है. प्रकृती के खिलाप खडे होकर कोई संस्कृती की बात करता है, तो वो पाखंडी, ढोंगी और मानवता विरोधी है. इस ब्राह्मणी व्यवस्था की हर बात प्रकृती के विरोध में है. और ये उनके पैदा होने से ही सुरु होती है, उनकी पैदाईस मुह से हुई है. समाज को बाट के अपना धंदा चलाने की उनकी धर्म नाम से एक दुकान है. इसलिए ही दुकानें, ठेले और हॉटेलों के बाहर, सामने नाम प्लेट लगाने का फतवा योगीने निकाला है. जबसे ये फतवा मार्केट में आया है, तब से ये धर्मांध शक्तिया समाज में मजाक का विषय बनी हुई है. आधुनिक दुनिया और समाज में ऐसे भी रानटी, जंगली लोक आज भी मौजुद है, और उसका सबूत वो खुद्द दे भी रहे है.

         ये शक्तिया ऐसा जो भी कुछ करती नही, सोच, समजकर करती है, इसके लिए जमीन तयार करती है. ये फतवा निकालने के पहिले संघ, भाजपा के आय. टी. सेल और अंधभक्तोने सोशल मिडियापर बहुत सारे व्हिडिओ चलाये. जैसे दाढीवाला, टोपी पहना हुआ फल विक्रेता फलोंपर मूत रहा है, थुक लगा रहा है. ऐसे कई व्हिडिओ कई दिनो से सोशल मिडियापर घुम रहे थे. मुसलमानों के दुकान से, ठेल्लो से कुछ भी नही खरीदना, उनके हॉटलों मे खाना नही खाने का, ये हिंदू समाज की मानसिकता तयार करेने का काम संघ का आयटी सेल कर रहा था. नाम प्लेट फतवा गलत है, मा. न्यायलयने उसे बेकायदा ठहराया है. पर कावड यात्रा के रस्ते मे हुल्लडबाज कवाडिया न्यायालय के आदेशपर थोडी ही चलेगे. धर्म के नामपर आतंक करना उनका धर्मसिद्ध अधिकार जो है, वो वही करेंगे जो उन्हें धर्म के ठेकेदारोंने करने के लिए कहा है.
          ये फतवे और हिंदू धर्म का दूर दूर से भी कही संबंध नही. उसका असली मकसद मुसलमानों के धंदे पे असर करना था. वो पुरा हो गया. मुसलमानों के ठेल्ले से और दुकानो से कुछ मत खरीदना, उनके हॉटेलों मे खाना मत खाना, ये मेसेज इस फतवे के बहाने हिंदुत्ववादी हिंदुयों को देना चाहते थे, उन्होने दे दिया. न्यायालय भले कुछ भी बोले अब उनको कुछ फरक नही पडता. अब सोशल मिडियापर बहुत कुछ हो रहा है. सेक्युलर लोग बाहर निकले है, फतवे की निंदा, निषेध कर रहे है. न्यायालय के आदेश के बाद धर्मांध शक्तिया बॅकफुटपर गई हैं, ये अनुमान बाहर निकलकर आ रहा है. पर उसका इन शक्तीयों पर कोई असर नही पडता.वो तो सफल हो गयी है.
          समाज को बाटकर राज करना ये ब्राह्मणी धर्म का असली रंग और रूप है. भले वो राजनीती हो सामाजिक स्थिती. फूट डालो और राज करो. इस निती के आधारपर ये व्यवस्था टिकी है. तो वही काम वो करेंगी. नाम प्लेट फतवा इसी कडी का एक भाग है.       

……………………….
– राहुल गायकवाड,
महासचिव, समाजवादी पार्टी, महाराष्ट्र प्रदेश.

0Shares

Related post

“रुपया डॉलर विनिमय: वर्गीय परिणाम आणि परकीय गुंतवणूक”

“रुपया डॉलर विनिमय: वर्गीय परिणाम आणि परकीय गुंतवणूक”

रुपया डॉलर विनिमय: वर्गीय परिणाम आणि परकीय गुंतवणूक  रुपया डॉलर विनिमयाच्या चर्चांमध्ये वर्गीय आयाम टेबलावर आणण्याची…
स्मार्टफोन, टीव्ही, बाजारपेठ: बदललेल्या जीवनशैलीवर लोकांचे मिश्रित विचार

स्मार्टफोन, टीव्ही, बाजारपेठ: बदललेल्या जीवनशैलीवर लोकांचे मिश्रित विचार

स्मार्टफोन, टीव्ही, बाजारपेठ: बदललेल्या जीवनशैलीवर लोकांचे मिश्रित विचार ती लहानपणची बाहुली किंवा विदूषक आठवतोय ? कसाही…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *