तुम मेरे पंख काट सकते हो ! मुझे तकलीफ दे सकते हो ! मेरी फडफडाहट से खुश होकार.. खुशी भी मना सकते हो तुम……. पर — मेरे जिद्द का क्या करोगे…..? मेरी उडने की चाहत और फिर खडा होने की सोच को… कैसे मार सकते हो, कैसे मिटा सकते हो तुम
तुम्हारे पास तो बहुत देवी – देवताये है उनके पास बहुत सारे हत्यार भी है …. किसीं के पास तलवार, तो किसीं के पास फर्स है…. किसीं के पास गदा , तो किसीं के पास गांडीव है…. किसीं के पास सुदर्शन ,तो किसीं के पास ब्रह्मास्त्र है…. महजब नाम का और एक हत्यार भी तुमने पैदा किया है…. पाप- पुण्य का खेल भी तुमने रचाया है और इस खेल मे मुझे व्हिलन तुमने ही बनाया है…. और महजबी अधिकार से…… मुझे मारने का, प्रताडीत करने का….. … लायसन्स भी तूमने इन देवतायों से हासिल किया है ! मै यह सब जानता भी हू और समजता भी हू तो भी मैं तुमसे नही डरता….. मै क्यू नही डरता… यह सोचकर तुम परेशान भी हो ना ……… क्या करोगे इस परेशानी का …? तो सुनो….. तुम्हारे परेशानी का कारण…. मेरे पास बुद्ध है, और उनका सदधम्म बुद्ध के शब्द और बुद्ध वाणी शिखाती है मुझे जीवन जीने की कला कबीर,क्रांती ज्योती व आंबेडकर भी है मेरे पास…. उनका विचार जो मनुष्य को इनसान बनाता है…. वो भी है मेरे दिलो- दिमाग और जहन में … क्या करोगे उसका—? यु तुम सोच रहे हो की, मुझे मारकर तुम्हारी पुरेशानी खतम हो जायेगी पर… ऐसा भी तो नही होगा ना क्यू की …. दुःख ही परेशानी कारण है और…. दुःख मिटाने का इलाज भी तो बुद्ध ही है और बुद्ध तुम्हारे पास नही मेरे पास है… तुम्हारे पास तो दुःख ही दुःख , दर्द ही दर्द है दुःख, दर्द और परेशानी के शिवा कुछ भी नही है तुम्हारे पास… कुछ भी पढो तुम्हारे धर्म ग्रंथ और पुराणो मे सब कुछ झूठ है, सब कुछ फरेंब है और यह भी तो तुम्हारे परेशानी का कारण है जो बोयोगे वही पायोगें ना…
पर मार्ग है… और वो बुद्ध की और ही जाता है… अगर चाहते हो दुःख, दर्द और परेशानी से मुक्ती तो ….. शरण में आवो बुद्ध के ……. बुद्धम शरणम गच्छामि , धम्म्म शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि अत दीप भव , स्वंयम दीप बन जायोंगे मतलब समजते हो ना इसका तुम खुद तुम्हारा प्रकाश बन जायोंगे