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गद्दार को गद्दार कहना कानूनन अपराध नही है…!

यह सच है की….
गद्दार को गद्दार कहना कानूनन अपराध नही है…..!
ये सच है की, कुणाल कामराने गद्दार और उनकी गद्दारीपर जो व्हिडिओ बनाया उसमे एकनाथ शिंदे का नाम नही लिया. लेना जरुरी भी नही था. शिंदे गद्दार है, यह पुरी दुनिया जानती है, उनकी पहचान भी यही बन गयी है, तो नाम लेने की जरुरत भी नही थी. और यह साबित भी शिंदे के अंधभक्तोने तोडफोड करके और कुणाल कामरा को गालिया, धमकीया देकर किया है. यह भी सच है की, कुणाल कामराने संविधान के दायरे मे रहकर ये व्हिडिओ बनाया है, पर व्हिडिओ मे जो शब्द है, वो सब के सब सही निशाने पर लगे है, और फिर आग लगी है. चोटे लगी है. अब संविधान से भागनेवालों को संविधान की बात करने के लिए कामरा के व्हिडिओने मजबूर भी किया है, यह ताकद उसके पास है, इसलिए कुणाल कामरा को सलाम…!
व्हिडिओ मे सब कुछ सच है, सच के शिवा कुछ भी नही है. रिक्षा है, दाढी है, गद्दार, गद्दारी है, एक शिवसेना से दुसरी शिवसेना निकली है, एक राष्ट्रवादी से दुसरी राष्ट्रवादी निकली है, यह भी सच है. भ्रष्ट्राचार और अपराधों से बचने और सत्ता पाने के लिए गद्दारी की गयी, यह भी सच ही है. और इतने सारे सच होने के कारण ही इतनी बडी आग लगी है.
सच तो यह भी है की, व्हिडिओ मे गद्दार के मुख्य पात्र शिंदे है, जो की उसने गद्दारी की. पर निशाना कही और है. और जहा है, वही पर लगा भी है. वैसे तो व्हिडिओ मे नया कुछ भी नही है, गद्दार को गद्दार कहा गया है. यही बात एक राष्ट्रवादी से एक और राष्ट्रवादी पैदा करनेवाले अजित पवारने शिंदे के बारे मे कही थी. अजित पवार आज भी उसे कबूल कर रहे है. फिर ऐतराज किस बात का है ? पर है, और वो इसलिए है की, कुणाल कामराने बस ये बात नये अंदाज में दुनिया के सामने लाया है. कामरा का ये अंदाजने केवल शिंदे को नंगा नही किया, बल्की जिस मॅन्यूफॅक्चर कंपनीने शिंदे और उसके जैसे शेकडो प्रॉडक्ट मार्केट में लाये, उस संघ, भाजप, मोदी, शहा और फडणवीस जैसे उसके चमचे को भी नंगा किया है. इसलिए ये आग जादा लगी है.
गद्दारों को गद्दार कहना कानूनन अपराध नही है, ये बात कुणाल कामरा को मालूम है, इसलिए स्टुडिओ की तोडफोड और धमकीयों के बाद भी उसने माफी नही मांगी. उसके बाद डराना, धमकाने सिलसिला और बड गया. अंधभक्तो की फौज अधिक चीड गयी है. अपने गद्दार आका के लिए वो खुद को बर्बाद करने के लिए तयार है. वो अलग बात है की, आनेवाले समय में शिंदे का लडका छोडकर बहुत सारे तरुण अदालत के सामने वकीलों की फी और जामीनदारों की भिख मांगते दिखेगे. पर आज वो पीछे नही हाटेंगे. बढ चढकर गद्दारों के प्रति अपनी अपनी वफादारी दिखायेंगे.
अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य लोकतंत्र का मुख्य आधार है. ये कुणाल कामरा पता है. संविधान के दायरे से बाहर जाकर उसने कुछ भी नही किया. उसने जो किया उसकी इजाजत उसको संविधान के कलम 19 (1)(a) देते है. पर अब गद्दार्यों की सेना कलम 19 (2) का सहारा ले रही है. इसके अंतर्गत देश की सार्वभौमिकता, एकता, सुरक्षा, विदेशी व्यवहार संबंध, सार्वजनिक सुरक्षितता, अवमान बदनामी और नागरिकों के हक्क, अधिकार का उल्लंघन आदी का समावेश है. पर इस व्हिडिओ में इसका उल्लंघन किधर भी नही हुआ. किसकी अवमानना और बदनामी नही हुई. चोर को चोर कहना उसकी बदनामी नही है. देश की एकता और सुरक्षा को इस व्हिडिओ से खतरा नही पैदा नही हुआ, बल्की जो लोगोंसे खतरा है, उसे बेनकाब करने का काम इस व्हिडिओने किया है. इसलिए कुणाल कामरा डर नही रहे है. देश का संविधान और लोकतंत्रपर उसका भरोसा है.
शिंदे कोई महापुरुष नही है. महाराष्ट्र के राजनीती में उसने जो भी कुछ किया है, वो सब संविधान और लोकतंत्र के विरुद्ध है. ये पुरा देश बोल रहा है. राज्य की जनता और मतदातायोंको धोका देने का काम शिंदे ने केवल सत्ता की लालच और जेल में जाने से बचने के लिए किया है. इसके सबूत भी मौजुद है और जनता उसे जानती भी है.
लोकनियुक्त सरकारों को धन के बलपर खरीदना, गिरना, लोकप्रतिनिधी को खरीदना कानूनन संविधान और लोकतंत्र विरोधी है.यह देशद्रोह भी है. और ये देशद्रोह मोदी – शहाने किया है. फडणवीस, एकनाथ शिंदे उनके साथीदार है. इसलिए जो हकीकत है, वही कामरा के व्हिडिओ का हिस्सा है. कामरा की इस कृती और निर्मिती को हम फॅसिस्ट शक्ती के खिलाप संविधान, लोकतंत्र बचाने की लढाई भी कह सकते है. जो आज देश को बचाने के लिए लढना बहुत जरुरी है. इसलिए हमे कामरा के साथ खडा होना है……!
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राहुल गायकवाड,
महासचिव, समाजवादी पार्टी,
महाराष्ट्र प्रदेश