• 563
  • 1 minute read

जो विद्यार्थी को अज्ञानी, उद्यम-विहीन या बेहुनर बनाती है.

जो विद्यार्थी को अज्ञानी, उद्यम-विहीन या बेहुनर बनाती है.

समाधान नहीं होता. बेरोजगारी के विशाल संकट को देखते हुए ऐसे किसी भी नीतिगत प्रस्ताव को अंतिम नहीं बल्कि अंतरिम ही कहा जा सकता है. ऐसी किसी भी योजना में बहुत से ढीले-सीले ओर-छोर होते हैं जिनमें गिरह लगानी होती है, आंकड़ों से जुड़े मसले होते हैं जिन्हें सुलझाना होता है. इसके साथ ही साथ नीति पर अमल करने के लिए धन जुटाने की बात तो सोचनी ही होती है. आगामी चुनावों के संदर्भ को देखते हुए कांग्रेस को ये दोष नहीं दिया जा सकता कि वह अपनी इन प्रस्तावित नीतियों के मामले में भरे-पूरे आशावाद से काम ले रही है. एक बात ये भी गौर करने की है कि प्रस्तावित योजनाओं में सिर्फ शिक्षित बेरोजगारों को ध्यान में रखा गया है और 50 प्रतिशत ऐसे बेरोजगारों फिलहाल इसमें शामिल नहीं हैं जो अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाते. चाहे जिस भी तरीके से देखें, ऐसी कोई भी योजना अपने स्वभाव में दरअसल तो राहत योजना की ही तरह होती है. बेरोजगारी की समस्या का असल समाधान खोजने के लिए हमें उस मॉडल में बुनियादी बदलाव करने होंगे जो रोजगारविहीन विकास को बढ़ावा देती है और उस शिक्षा-व्यवस्था को भी बदलना होगा जो विद्यार्थी को अज्ञानी, उद्यम-विहीन या बेहुनर बनाती है.

0Shares

Related post

भारतीय शेतीक्षेत्र आणि वित्त भांडवल

भारतीय शेतीक्षेत्र आणि वित्त भांडवल

भारतीय शेतीक्षेत्र आणि वित्त भांडवल काही दिवसापूर्वी ग्रामीण भागातील एक तरुण मित्राने मेसेंजर मध्ये विचारले “सर…
”इंडिगो फियास्को” : अभ्यासवर्ग

”इंडिगो फियास्को” : अभ्यासवर्ग

”इंडिगो फियास्को” : अभ्यासवर्ग भारतीय विमान वाहतूक सेवेची जगभर नाचक्की झालेल्या “इंडिगो” प्रकरणाचा गाभ्यातील ‘इश्यू’ नेमका…
”विश्वगुरू” बनण्याचा अभ्यासवर्ग

”विश्वगुरू” बनण्याचा अभ्यासवर्ग

”विश्वगुरू” बनण्याचा अभ्यासवर्ग  ‘नेव्हर वेस्ट अ गुड क्रायसिस’ अशी एक इंग्रजी म्हण आहे. याचा अर्थ असा…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *