वैचारिक 321 minute read “तुझे समझता कौन है” 3waysmediadmin February 2, 2024 Post Views: 43 जाया न कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिए,ख़ामोश रहकर देख, तुझे समझता कौन है।हर चेहरा मुस्कुराता है मौक़े की धूप में,ग़रीबी में रोकर देख ,आंसू पोंछता कौन है।जो वक़्त के साथ तेरे हाथ छोड़ देता है,कांटों पर चलकर देख, मंजिल पर साथ पहुंचता कौन है।लोग तो शोहरत की तरह पास आते हैं,शोहरत छोडकर देख,सुकून की तरह दिल में ठहरता कौन है।हर महफ़िल में सब तेरे क़रीबी बन जाते हैं,मगर तन्हाई में देख, तेरा दर्द सुनता कौन है।जहाँ जमीर बिकता है झुठोंके बाजार में,सच को सच बोलकर देख, साथ रहने की हिम्मत रखता कौन है।ज़माने में खुदको तुझसे बेहतर समझनें वाले बहुत हैं,बुद्ध और बाबासाहब की राह चलकर देख, तुझको तेरी तरह समझता कौन है।‘रमेश’ अब छोड़ दे, पहचान का ये खेल सब झूठा है,ख़ुद को पा लिया तुमने पहले, अब देख, तुझे समझता कौन है।– कांबले सर बदलापुर ठाणे Facebook 0 WhatsApp Messenger Twitter 0 Print 0Shares