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देश के हित मे मोदी की फेक डिग्री का स्मारक बनाना चाहिए….!
देश के हित मे मोदी की फेक डिग्री का स्मारक बनाना चाहिए....!
देश के हित में मोदी की डिग्री का स्मारक बने !
*. सक्रीय राजनीति में आने के बाद मोदीने २० वर्षोतक शादी और बीबी को छुपाया, कोई बात नहीं। पर शिक्षा तो गर्व की बात है। अगर मोदी सही मे पढे, लिखे है, तो डिग्री दिखाने मे कोई भी प्रॉब्लेम नहीं होना चाहिए। अगर डिग्री फेक है, तो भी बोलना चाहिए, ये भी एक जुमला है। जनता कुछ नहीं बोलेगी। और छुपाने से भी फायदा नहीं, ” जनता सब जानती है, मोदी की डिग्री फेक है ! “

पर, वह फेक डिग्री ही क्यों न हो दिखानी जरूर चाहिए। दलाल गोदी मिडिया को कॉन्ट्रॅक्ट देना चाहिए, वो दिनभर फेक डिग्री के फायदे बता देगा। कितनी मेहनत से एक मोदी जैसे व्यक्ती ने यह फेक डिग्री हासिल की होगी! मोदी है तो ही यह मुमकिन हुआ। बाकी किसी की बस की बात नहीं थी!
देश हित मे…. मोदी की फेक डिग्री दिखाना भी देश हित मे हो सकता है; यदि संघ, भाजप और मोदी भक्त सही मे देशभक्त है! देश और देश की जनता से कुछ प्रेम मन में है, तो मोदी की फेक डिग्री का स्मारक बनाना चाहिए। एखाद म्युझियम भी बनाना चाहिए। उसमे यह डिग्री रखनी चाहिए। जिसको भी डिग्री देखनी है, उसको टिकट लेके देखनी पडेग। टिकट से देश को अमदानी भी हो सकती है, देश हित मे यह होना जरुरी है।
जब से मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गये, तब से ये डिग्री पुराण शुरु है. हालांकि देश को डूबोने के लिये डिग्री का होना, या नहीं होना कोई मायने नहीं रखता। देश को डूबोने की सोच होना जरुरी है। मोदी के पास वही है। देश को डूबोने की सोच और साथ मे मेहनत करनी की तैयारी है, तो डिग्री का कोई काम नहीं। यह काम पढे, लिखे लोगों से अच्छा अनपढ ही कर सकता है। ७० साल के विकास को ” विकास ” का नाम ले के ही खतम करना, कोई मामुली बात नहीं थी। पर मोदी ने कर दिखाया।
पुरे एक दशक से डिग्री की समस्या देश के सामने खडी है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों भी इस समस्या से ग्रस्त है। विपक्ष डिग्री दिखाने की मांग करता है, आंदोलन करता है; न्याय व्यवस्था मे भी दस्तक देता रहा है। पुरा संघ परिवार, भाजप के नेता, आयटी सेल, अंधभक्तों की फौज डिग्री छुपाने के लिये परेशान है। यह सब खतम करने के लिये एक मात्र रस्ता है, इस डिग्री का स्मारक….! ये स्मारक बनने से विपक्ष शांत हो जायेंगे, संघ, भाजप व अंधभक्त को परेशानी से मुक्ती मिलेगी और न्यायालय को बार बार डिग्री की सुनवाई नहीं करनी पडेगी।
यह स्मारक का इव्हेंट बहुत भावनात्मक रूप से मनाना चाहिए। देश की पहचान बनना चाहिए ये स्मारक। एक अनपढ के डिग्री का स्मारक देश विदेश के लिये कुतूहल का विषय होना चाहिए। गोदी मिडिया के सब अँकर ये काम बहुत खुबी से कर सकते है। बाकी देश के प्रथम प्रधानमंत्री और देश के भाग्यविधाता पंडित जवाहरलाल नेहरू की जब मृत्यू हुई, तब उनकी रक्षा हवाई जहाज से धरतीपर उछाली गयी। देश का एक सपूत इस धरती मे समाया गया। यह उनकी आखरी इच्छा से किया गया।
इंदिरा गांधी ने अपने मृत्यू से पहिले कहा था, मेरे खून का एक एक कतरा इस मिठ्ठी का हिस्सा बनना चाहिए! और हुआ भी ऐसा ही. पर हमारे मोदी जी बोलते है की, मेरा क्या मैं झोली उठाके चला जाउंगा। अगर मोदी सच मे ऐसा करते है, तो किमान उनके डिग्री का स्मारक तो देश मे रहेगा।
स्मारक की जानकारी हेतू लिखना चाहिए…. ये डिग्री स्मारक एक ऐसे महानुभव का है की, जिसने बचपन से प्रधानमंत्री बनने तक अनेक कारनामे किये। जब देश के किसी भी विश्व विद्यालय मे एन्टायर पॉलिटिकल सायन्स यह सब्जेक्ट पढाया नहीं जाता था, तब इस महानुभव ने इस विषय मे डिग्री हासिल करली। संगनक देश मे नहीं था, तब पदवी प्रमाणपत्र भी संगणक से हासील किया। जो रेल्वे स्टेशन ही नहीं था, वहापर चाय बेची। ३५ साल तक भीक मांग के खाया, और देश विदेश भी घुमते रहे। जब देश के प्रधानमंत्री बने तब ७० साल मे देश ने जो विकास किया, उस विकास को मात्र दस साल मे ही बेच दिया।
यह महानुभव खुद्द को फकीर कहता है, पर दस लाख का सूट पहनता है। लाखों का चष्मा, घडी और पेन इस्तेमाल करता है। और तो और करोडो रुपये की कार और कई करोड रुपये के हवाई जहाज से देश, विदेश मे अपने उद्योगपती दोस्तों के लिये दलाली करता फिरता है। बस, यह एकमात्र लाल हमारे देश में कई शेकडो साल के बाद पैदा हुआ है। उसके डिग्री स्मारक को नमन…!
देश हित में जारी…!
………….
राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता एवंम महासचिव समाजवादी
पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश