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धर्म पुछ्कर हत्या करने का संघी और मोदी अजेंडा आतंकीयो ने कैसे अपनाया…?

देश के मातम के माहोल को संघ और मोदी सरकार जिम्मेदार…!
पुलवामा के ६ साल बाद पहलगाम मे आतंकी हमला हुआ और देश सुरक्षित हातो मे है, इस विश्वास से यहा घुमने गये पर्यटक मारे गये. इसबार आतंकीयोने पर्यटकों को उसका धर्म पुछ्कर मौत के घाट उतार दिया. यह अजेंडा इस देश मे संघ, भाजप और मोदी, शहा के शासन का रहा है. बिलकुल यही अजेंडा आतंकीयो ने अपनाया. और जैसे ही हमला हुआ वैसे ही पुरे संघ, भाजप और उनका सोशल मिडिया यही अजेंडा चला रहा है. गोदी मिडिया भी पिछे नहीं है. आतंकीयो ने कर्नाटक के एक महिला के पती को धर्म पुछ्कर पत्नी के सामने ही पती को गोली मारी और मौत के घाट उतार दिया. महिला बोली मुझे भी मार दो, पर आतंकीने उसे मारा नहीं, आतंकी बोले ये आप मोदी को जाकर बोल दो. बस अब यही अजेंडा देश मे चल रहा है. देश मे इस महिला का कार्टून बन गया है. गोदी मिडियापर यही सब चल रहा है. आतंकी हमले मे मारे गये लोगो के प्रति संवेदना कम, देश मे नफरत की राजनीती जादा सुरू हो गयी है. जैसे लग रहा है नफरत की राजनीती की जमीन तयार करने के लिये ही यह हमला करवाया गया हो. वैसे भी लष्कर ए तैयबा और संघ के संबंधो की कई बार चर्चा भी हो चुकी है, संघी संजय सरोज को टेरर फंड केस मे जेल जाना पडा था. उसके लष्कर ए तैयबा के संबंध जाहीर है. अब वो भाजप के बडे नेता बने है.
हमले के बाद से नफरत की राजनीती जोर से चल रही है, हिंदू के ठेकेदार बनी भाजप जिस राज्य के लोग इस हमले मे मारे गये है,इस राज्य मे उनके शव आने से पहिले ही राजनीती करके नफरत का माहोल तयार कर रहे है. जो मरे है उनके घरो मे मातम छाया हुआ है, पर वहा की भाजप और अन्य हिंदुत्ववादी संघटन उत्सव मना रही है. संघ, भाजप और संघ परिवार छोडकर सब इस हमले की निंदा कर रहे है. और यह फॅसिस्ट शक्तीया नफरत राजनीती. पर इधर काश्मीर मे कुछ उलट है, पुरे काश्मीर की जनता ने इस हमले की निंदा की है. जो लोग घायल है, उन्हे मदत की जा रही है. यहा के मुस्लिम नागरिकोने पर्यटको को अपने घर मे सहारा दिया है. भाईचारा बनाने का काम किया है. दोनो समुदाय आपशी तालमेल दिखा रहे है. और ये तालमेल नफरत की राजनीती पे भारी पडता नजर आ रहा है. यह भारत है.

केंद्र की संघी सरकार और सरकार के प्रमुख मोदी जिस वक्त जादा परेशान रहते है, तब आतंकी मदत के लिये आते है, धमाके करते है, निकल जाते है, फिर संघी अंधभक्त और मोदी अपना काम करते है. पुलवामा और पहलगाम आतंकी हमले उसका उदाहरण है. ६ साल पहिले मोदी को दुसरी बात सत्ता चाहिए थी. पर मिलने की कोई गुंजायश नहीं थी. सरकार सब मोर्चेपर फेल थी. काला धन, नोटबंदी, २ करोड रोजगार, १५ लाख और सबका साथ, सबका विकास, ये सारे नारे फेल हो चुके थे. सरकार , मोदी जुमलेबाज है यह साबित हो चुका था. सत्ता हात से निकल चुकी थी, बस पुलवामा मे आतंकी मदत के लिये आ गये. फिर जो भी कुछ हुआ सारा देश जानता है. हमारे देश के जवान शहीद हो गये, उनकी शहादत निलाम हुई, बेची गयी. फिर चुनाव हुये और सत्ता मिली. आज मोदी अल्पमत की सरकार चला रहे है. जिनके भरोसे सरकार चल रही है, वो भरोसे लायक नहीं है, कभी भी, कुछ भी हो सकता है, मोदी व संघी शासन के लिये ये समय बहुत तकलीफ का है. ऐसी तकलीफ मे फिर आतंकी मदत के लिये आये, और धमका करके चले गये. आतंकी हमले के बाद मोदी की बारी है. कहानी की पटकथा लिखी गयी है. अमित शहा देश का बहाद्दूर गृहमंत्री है, यह प्रचार सुरू हो चुका है. उसके पहलगाम एंट्री से कहानी की पटकथा सुरू होती है. हो चुकी है. अब जुमलेराजा की एंट्री और राजनीती सुरू हो जायेगी.

पहलगाम: मातम के माहोल मे रेड कार्पेट स्वागत का आस्वाद लेते हुये देश के गृहमंत्री अमित शहा
पुलवामा मे आतंकी हमला हुआ, तब पंतप्रधान मोदी मौज मजा में शुटींग का कार्य कर रहे थे. इसबार भी मुस्लिम देशो में घूम रहे है. मोदीजी देश विदेश में है, और विदेश के वो भी अमेरिका के उपराष्ट्रपती वेन्स भारत दौरेपर है. इधर पहलगाम मे पर्यटको की हत्या हो रही है. आतंकी लोगो से पुछ रहे है, आप हिंदू है की मुस्लिम, मुस्लिम है तो छोडा जा रहा है, और हिंदू है, तो गोली से भूना जा रहा है. यह आतंकी भी अब संघ और मोदी का अजेंडा चला रहे है. धर्म पुछ्कर हत्या करने का अजेंडा तो संघी का ही है ना. इस देश मे हिंदू खतरे में है, यह नारा देकर ही भाजप इस देशपर राज करना चाहती है. और भाजप को इस काम मे आतंकी मदत कर रहे है. ऐसे तो धर्म और नाम पुछ्कर गोली मारने का काम इसके पहिले आतंकीने कभी नहीं किया. नाम पुछ्कर हत्या करने का प्रोग्राम तो मोदी शासनकाल की देन है, अब उसे आतंकीयोने भी अपनाया है. या ऐसा भी हो सकता है की, संघ और आतंकी संघटन के बीच मे हुंई समझोत का ये मुख्य मुद्दा भी हो.
अल्पमतवाली संघी सरकार परेशान है. सरकार हिंदू _ मुस्लिम अजेंडा जोर से चला रही है, इस अजेंडे के तहत औरंगजेब आया, मुगल आये, पर ये संघ व सरकार पर ही पलट गया. फिर वक्फ विधेयक आये, उसे न्यायालय मे चुनौती मिली, देशभर विरोध हुआ. सरकार मुस्लिम विरोधी है, यह तो इस विधेयकने साबित किया ही, पर ये विधेयक संविधान, लोकशाही विरोधी है, यह भी साबित हुआ. और तो और वक्फ की जमीन अदानी को बेचने का प्लान भी सामने आया. सरकार की बदनामी हुई. ऐसे समय मे ऐसी ही कुछ धमाकेदार घटना की जरुरत थी, जो संघ और मोदी के नफरत की राजनीती को हवा दे सके. ये जरुरत की बात आतंकवादीयो ने सुनी और धमका हो गया. देश सुरक्षित हात मे है, इस मोदी के नारे पे जिसका विश्वास था, और इस विश्वास के साथ जो घुमने गये वो लोग मारे गये. मोदी पे जो भी विश्वास करेगा, उसका मरना तय है, फिर वो भूख से मरे, जाती, धर्म के नामपर हो रहे दंगे मे मरे, या ऐसे आतंकी हमले मे मरे. मरना लेकीन तय है.
आशंका थी की जवान अगर सडक मार्ग से जायेगे तो मारे जायेगे. मोदीने उन जवानो मारना पसंत किया, पर उन्हे हवाई जहाज से नहीं भेजा. ना आज तक पुलवामा की आतंकी घटना को अंजाम दिया, उन आतंकी को पकडकर सजा दी. ३७० कलम हटने बाद काश्मीर से आतंकवाद खतम हो गया है, ये दावा करनेवाली संघी सरकार के मुहपर ये आतंकी हमला एक जोरदार थप्पड है. पर मोदी की सरकार बेशर्म है. ऐसे स्थिती मे भी वो नफरत की ही राजनीती करेगी.
हमला हुआ, लोग मारे गये, पर इस घटना की जिम्मेदारी कोन लेगा ? यह सवाल अब बाकी है. देश का गृहमंत्री पहलगाम तो गया, पर वहापर वो फोटो शूट कर रहा है, ऐसे संवेदनशील मोकेपर भी रेड कार्पेट स्वागत को स्वीकार कर रहा है. इतने असंवेदनशील सरकार इस वक्त हमारे देश मे है. यह देश का दुर्दैव है. मौजुदा सरकार अगर संवेदनशील होती. नागरिको की पर्वा सरकार को होती, तो इस क्षेत्र मे पर्याप्त सुरक्षा रहती, आतंकी इस घटना को अंजाम नहीं दे पाते, और न हमारे देश के नागरिक मरते. देश मे मातम की स्थिती पैदा नहीं होती. पर सरकार निकम्मी लोग और शक्तीयों के हात मे है. इसलिये आज देशभर मातम का माहोल है. आज के मातम के लिये केवल देश की संघी और मोदी सरकार ही जिम्मेदार है.
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– राहुल गायकवाड,
(महासचिव, समाजवादी पार्टी,
महाराष्ट्र प्रदेश)