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बिहार विधानसभा चुनाव : ओवेशी और प्रशांत किशोर वोट काटकर भाजप को जीत दिलाने के लिये चुनाव मैदान मे……!

बिहार विधानसभा चुनाव : ओवेशी और प्रशांत किशोर वोट काटकर भाजप को जीत दिलाने के लिये चुनाव मैदान मे……!

चुनाव आयोग से गठबंधन और वोट मे गडबडी के साथ साथ वोट कटवा दलो के सहारे चुनाव जितती है भाजपा....!

       सुनिश्चित हार को सुनिश्चित जीत मे बदलने की हर कोशिश, हर चुनाव मे भाजप करती है. चुनाव बिहार का ही ले लो. हार एकदम तय है. पुरा बिहार सडकपर उतरकर खुलेआम मोदी और भाजप का विरोध कर रहा है. बिहार के हर घर से ” मोदी वोट चोर है” की आवाज आ रही है. पर चुनाव के नतिजे चौकानेवाले नहीं आने चाहिए. जैसे महाराष्ट्र और हरियाना विधानसभा के थे. भाजप अपनी हार हो जीत मे इसलिये बदल देती है की , भाजप कई तरीके से वोट चोरी करती है. एक तो EVM मशीन की सेटिंग. भाजप को अपना वोट तो मिलता ही है. पर विपक्ष दल का हर तिसरा वोट EVM मशीन भाजप और मित्र पक्ष को देती है. चुनाव आयोग से गठबंधन करके भाजपने बोगस वोटर भी बनाये है, और विपक्ष दल को हमकाश मिलनेवाले वोट भी काटे है. हार को जीत मे तबदील करने के लिये भाजप इतना करके ही रुकती नहीं, विपक्ष दल के वोट काटेंगे ऐसे वोट कटवा राजकीय दल को भी करोडो रुपये देकर चुनाव भी लढवाती है. चुनाव बिहार का ही देखो, ओवेसी की AIMIM और प्रशांत किशोर की जनसुराज्य पार्टी वोट काटके भाजपा को जीत दिलाने के चुनाव मैदान मे उतर गयी है.
           वोट काटनेवालै दल को भाजप हर प्रकार की मदत करती है. गोदी मिडिया पुरा केव्हरेज देता है. चुनाव लढने के लिये धन और जन की व्यवस्था भी करती है. किस क्षेत्र से किस जाती का उमेदवार चाहिए उसका भी प्लान भाजप करती है, और वोट कटवा दल भाजपा के फायदे के लिये यही करता भी है. २०१९ के लोकसभा चुनाव मे महाराष्ट्र मे प्रकाश आंबेडकर के वंचित बहुजन आघाडी और ओवेसीं के AIMIM ने युती करके चुनाव लढा और भाजप को ८ से दस सीट का फायदा पोहचाया. यही प्रयोग भाजपने मायावती की बसपा और ओवेशी की AIMIM को लेकरं किया. भले ही ये दोनो दल अलग अलग से लढे, पर वोट तो विपक्ष दल के ही काटे. भाजप दलित और मुस्लिम विरोधी दल है. यह केवल आरोप नहीं है. भाजप खुद्द ये खुलेआम मानती भी है. परिणाम स्वरूप दलित, मुस्लिम वोट भाजप को मिलते भी नहीं. इसलिये वोट काटने के लिये संघ और भाजपने वोट कटवा राजकीय दल देशभर खडे किये है. मायावती की बसपा, ओवीसी की AIMIM और केजरीवाल की आप ये दल राष्ट्रीय स्तरपर भाजप के लिये विपक्षी दल के वोट काटने का काम करते है. तोमहाराष्ट्र मे प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी यह काम करती है.
          गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश, हरियाना इन राज्यों मे काँग्रेस को हाराने की बडी जिम्मेदारी केजरीवाल की आप ने निभायी है, और भाजप को लाभ पोहचाया. तो उत्तर प्रदेश मे समाजवादी पार्टी को रोकने का काम बसपा और AIMIM ने किया है. १०० से १२५ सीट का लाभ इन दो दलोने २०२२ के विधानसभा चुनाव मे भाजपा का करके दिया, और बुलडोझर बाबा को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री फिर से बनाया है. इसके लिये बसपा और AIMIM को राष्ट्रीय वोट कटवा पार्टी का दर्जा देना चाहिए. २०२७ मे होनेवाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव मे भी यही खेला करनी की तयारी आज से ही ये दोनो दलोने सुरू की है. अगर इनसे काम नहीं बनता है, तो चंद्रशेखर आझादपर भी भाजप ने डाव लगाया है.
  

  सबसे जादा वोट और सीट के साथ साथ राजद सबसे बडी पार्टी…..!

 
           ०१४, २०१९ और २०२४ के लोकसभा चुनाव मे राष्ट्रीय जनता दल को बडी कामयाबी नहीं मिली हो, पर पिछले तीन विधानसभा चुनाव मे राजद सबसे जादा सीट जीत चुके है. और हर चुनाव मे सीट कम होनेपर पलटूराम नितीशकुमार मुख्यमंत्री बने है. अगर हम २०२४ के लोकसभा चुनाव की बात करे तो भाजप की नेतृत्ववाली एनडीए को 48,% वोट मिले, तो इंडिया आघाडी को 40% वोट मिले है. 40 लोकसभा सीट मे से 12 सीट भाजप, 12 सीट जेडीयू, 5 सीट लोकजनशक्ती पार्टी और मांझी के हम को 1 सीट मिली है. एनडीए के खाते मे 30 और इंडिया आघाडी के खाते मे 9 + 1 सीट आयी है. उसमे राजद 5, काँग्रेस 3 और सीपीएम (माले) लिबरेशन को २ सीट मिली है. लोकसभा चुनाव के आधारपर बात करे तो २४३ विधानसभा सीट मे से 174 सीटपर एनडीए आगे है, तो केवल 62 सीटपर इंडिया गठबंधन आगे है. ये अंतर बहुत है. पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव के रिझल्ट पिछले तीन चुनाव मे बिलकुल उलटे आ रहा है. लोकसभा चुनाव मे बुरी तरह हार के बाद विधानसभा चुनाव मे राजद को सबसे जादा सीट मिली है.
               2014 मे केंद्र मे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे सरकार बनने के बाद 2015 मे बिहार विधानसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव मे जेडीयू, राजद, समाजवादी पार्टी, जेडीएस आदी दल गठबंधन मे भाजप के खिलाप लढे और इस गठबंधन को 243 मे से 178 सीट मिली. इसमे राजद को 80, तो जेडीयू को 71 सीट मिली. तो भाजप के खाते मे केवल 58 सीट आयी थी. अगर वोट के प्रतिक्षत की बात करे तो नितीशकुमार के नेतृत्ववाले गठबंधन को 41.9%, तो भाजप और मित्र पक्ष को 34.1% वोट मिले थे. 2020 के विधानसभा चुनाव मे नितीशकुमारने पलटी मारी और वो भाजप के एनडीए के हिस्सा बने. तब भी राजद को सबसे जादा 75 सीटपर जीत मिली. भाजप को 21सीट का फायदा मिला और भाजप को 74 सीट मिली. इस चुनाव मे नितीशकुमार की बुरी तरह हार हुई, उन्हे केवल 43 ही सीट मिली. राजद के गठबंधन मे रहे काँगेस को 19, सीपीएम (माले) को १२ सीटपर जीत मिली. अगर वोट की बात करते है, तो भाजप को 19.41%, जेडीयू को 15.39% वोट मिले थे , और मित्र दल के कुछ प्रतिक्षत वोट पकडकर 37% के आसपास वोट मिले थे. तो राजद को सबसे जादा 23.11% वोट मिले थे, गठबंधन मे काँग्रेस 9.48% और माले के साथ लेफ्ट को 5% के आसपास मतलब राजद के नेतृत्ववाले गठबंधन को 38 से 39% के आसपास वोट मिले थे. एनडीए और राजद गठबंधन मे काटे की टक्कर हुई थी. उस वक्त ओवेशी के AIMIM को 1.66% वोट के साथ 5 सीट भी मिली थी.
          

           ओवेशी और प्रशांत किशोर भाजप के पोपट……!

 
        2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव मे मिले वोट और सीट के हिशाब से भाजप को अब होनेवाला चुनाव बिलकुल आसान नहीं है. समलैंगिक संघ और भाजप ये जानती भी है. इसलिये भाजपने नितीशकुमार को कमजोर करके प्रशांत किशोर को वोट कटवा पार्टी के रूप मे बिहार विधानसभा के चुनाव मैदान मे उतारा है. प्रशांत किशोर भी धनबल के साथ मैदान मे उतरे है, और उनके टार्गेट मे भाजप या नितीशकुमार नहीं है. वो केवल तेजस्वी यादव और राजद को टार्गेट कर रहे है. ओवेशी भी इसबार पहिले से भी जादा ताकद से चुनाव मैदान मे उतरे है, और उनके भी निशाने पर नितीशकुमार, मोदी नहीं है, बल्की तेजस्वी यादव और राहुल गांधी है. ओवेशी और प्रशांत किशोर बिहार के पिछडेपण को २० साल से मुख्यमंत्री रह चुके नितीशकुमार को और दस साल से प्रधानमंत्री पदपर विराजमान नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार नहीं मानते. बल्की इस पिछाडापण को तेजस्वी यादव को जिम्मेदार मानते है. ये भाजप की राजनीति है. प्रचार तंत्र है. और ओवेशी, प्रशांत किशोर भाजप के पोपट है. 
        प्रशांत किशोर की जनसुराज्य पार्टीने 243 सीटपर उमेदवार उतारे है, तो ओवेशी की AIMIM ने वोट काटने के हिसाब से 60 के आसपास उमेदवार उतारने की तयारी की है. बसपा भी सब सीट लढने के तयारी मे है. चंद्रशेखर आझाद भी अपने उमेदवार खडे कर रहे है. ये अलग बात है बसपा का अभी कुछ वजूद नहीं. पर थोडा फार नुकसान तो करेगे ही. अगर ये चारो दल मिलकर 10% भी वोट लेते है, तो इंडिया आघाडी का खेला हो सकता है. २०१५ और २०२० के विधानसभा चुनाव मे जो सीट राजद, काँग्रेस और लेफ्टने ५००० वोट के अंतर से जीती है, ऐशी ५० के आसपास की सीट भाजप की झोली मे डालने का काम ये वोट कटवा दल करेंगे. जो भाजप के लिये लाभदायक होगा…..!
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राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता, महासचिव समाजवादी,
 पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश
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