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मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई कानून से फैसला करेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जेल जायेंगे…..?
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरने ब्राह्मणी शक्तीया, विश्वहिंदू परिषद और उनके आक्का माफीवीर सावरकर के विरोध के बावजूद संविधान का राज स्थापित किया है....!
भूषण रामकृष्ण गवई….!, देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश. स्वतंत्र भारत के ५२ वे मुख्य न्यायाधीश….! अगले महिने भूतपूर्व हो जायेंगे और गुमनाम भी….! मे यह इसलिये बोल रहा हुं की, देश के १४० करोड नागरिकों को ना पहिले मुख्य न्यायाधीश का नाम मालूम है, ना उनके पहिले जो थे 51 वे मुख्य न्यायाधीश उनका नाम मालूम नहीं…! अगर भूषण गवई को अपना नाम अजरामर करना है, तो भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरने इस देश के लिये जो सपने देखे थे, उनको वास्तव मे साकार करना है तो , मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई सिर्फ संविधान से फैसले करे…! दुनिया मे कोई ऐसी ताकद नहीं, जो उनको संविधान के निर्माता, शिल्पकार डॉ . आंबेडकर के बाद दुसरे नंबर का दर्जा से रोक दे. और इस के लिये उनके पास जो समय है, यह केवल एक ही महिने का है. पर यही एक महिने मे डॉ. आंबेडकर ने जो लोकतंत्र और संविधान इस देश दिया, उस संविधान से ही वो मनुवादी व्यवस्था, ब्राह्मणी शक्ती, ताकदे जो आज देश को बर्बाद कर रही है, उसे रोक सकते है. बर्बाद कर सकते है. और देश, संविधान और लोकतंत्र को बचा सकते है.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान का बहुत बडा हत्यार उनके पास, उनके हात मे है, और वो आज उसके मालिक है. बस उनको अपने अधिकार का वापर करना है. और ५००० हजार सालो का ब्राह्मणी वर्चस्ववाद खतम करना है. ऐतिहासिक और युग पुरुष होने का मोका उनके हात मे है. फैसला भूषण गवई के हात मे है. अगर वो संविधान से फैसला करेंगे तो मोदी, शहा, मोहन भागवत और कुणबा जेल के अंदर जायेगा डॉ. आंबेडकर के संविधान की ये ताकद है.
महात्मा गांधी के हत्या के बाद अण्णा, केजरीवाल आंदोलन दुसरे सबसे बडे षढयंत्र संघ ने रचे. उद्योगपतीयों से करोडो रुपये लेकरं देश बेचने का सौदा किया , और अण्णा आंदोलन को करोडो रुपये दे दिये. मिडिया को खरेदी करके गोदी मिडिया बनाया. और देश मे अराजकता पैदा करके सत्तापर कब्जा किया. फिर सत्ता का दुरूपयोग करके संवैधानिक संस्थायों को कुछलना सुरू किया. संविधान को बदलने का और मनुस्मृती से देश चलाने का माहोल देश मे तयार किया. यह बहुत बडा अपराध है. देश के साथ द्रोह है. बस मोदी ने अपने एक दशक के शासनकाल मे जो जो घटनाबाह्य कृत्य किया है, उसका फैसला करने का निर्णय भूषणजी एक महिने के अंदर लेगे, तो मोदी, अमित शहा ही नहीं, पिछले एक शतक से बेकायदेशीर आतंकी संघटन चलानेवाले सरसंघचालक मोहन भागवत भी जेल मे जा सकते है. इतनी ताकद डॉ. आंबेडकर के संविधान मे है. और वो आज भूषणजी के हात मे है.
ऐसा नहीं की मे असंभव बाते कर रहा हुं. मोहन भागवत, मोदी और शहा के साथ उनका पुरा देश विरोधी कुणबा जेल मे जायेंगा, इतने सारे सबूत न्याय व्यवस्था के पास है. बस भुषणजी के पास इच्छा शक्ती होनी चाहिए. एक महिने का समय भी बहुत है. २०१४ के बाद मोदी सत्तापर आने के बाद पिछले एक दशक मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, परिवार और ब्राह्मणवादीयों के इशारेपर देश मे जो भी कुछ हुआ है, वो गैर कानुनी हुआ है. अगर मोदी की रोज एक फाईल सर्वोच्च न्यायालय मे खुलती है, उसपे दो या चार दिन की समय सीमा तय करके सर्वोच्च न्यायालय फैसला देते है, तो मोदी, अमित शहा और संघ के कई देशद्रोही सलाखो के पिछे हो जायेंगे. भूषणजी के सामने बहुत सारे मोके खडे है. जुते का बदला बहुत आसनी से वो ले सकते है. बस उनके अंदर का आंबेडकर अब जगना चाहिए.
संघ और सारी की सारी ब्राह्मण्यवादी शक्तीया गुलामी का प्रतिनिधीत्व करती है….!
गांधी, नेहरू, आंबेडकरने इस देश को आजादी दिलायी, फिर आजाद भारत को मनुस्मृती को दफनाकर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संविधान दिया. और वो संघ, संघ परिवार, विश्वहिंदू परिषद और माफीवीर सावरकार के विरोध के बावजूद दिया. संघ जिस ब्राह्मणी विचारधारा का पक्षधर है, वो विचारधारा गुलामी का प्रतिनिधित्व करती है. संघ गुलामी का प्रतिक है. आज संघ के साथ साथ जो भी हिंदुत्ववादी शक्तीया इस विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहे है, ठेकेदारी कर रही है, वो सारे मुगलो के दरबार मे गुलामी और चाकरी कर रहे थे. फिर ब्रिटिश आये तो उनकी गुलामी की. तलवे चाटे, स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया. सावरकर के माफीनामे, गोलवलकर के फर्मान और श्यामा प्रसाद मुखर्जीने ब्रिटिश सरकार को लिखि चिठ्ठीया सबूत के तौर पर उपलब्ध है.
विदेशी शक्तिया फिर वो मुगल हो या ब्रिटिश, उनकी गुलामी करना और देश की जनता को गुलाम बनाना, यह संघ की सोच, मानसिकता और अजेंडा हमेशा से रहा है. संघ का इतिहास और अतित भी यही है. इसलीए देश और देश की जनता की आजादी संघ, भाजप और हिंदुत्ववादीयों को रास नहीं आ रही है. इसलिये भारतीय जनता को समान हक्क, अधिकार ,स्वतंत्रता देनेवाले संविधान और लोकतंत्र को संघ विरोध करता है.
अगर भूषण गवई कडे फैसले लेंगे तो मोदी, शहा और मोहन भागवत भी जेल जायेंगे….!
कार्यपालिका , विधायिका, प्रसार माध्यमं और न्याय पालिका लोकतंत्र के चार स्तंभ है. किसी एक की लोकतंत्र जागीर नहीं है. पर पिछले एक दशक से संघ के रिमोटपर कार्य कर रही मोदी और उनकी सरकार देश को बेच रही, देश मे नफरत पैदा कर रही है, किसान, कामगार वर्ग को बर्बाद करनेवाले कानून बना रही है. देश मे जाती, धर्म के नामपर दंगे करवा रही है. महिला पर अत्याचार कर रही और अत्याचार करनेवालों खुलेआम सन्मान कर रही है. देश की संपत्ती अपने दोस्त उद्योगपतीयों बेच रही है. सरकारी जमीन और सरकारी उद्योग ही बेच रही, विकास कामो मे भ्रष्ट्राचार कर रही है. इतना ही वोट चोरी कर रही और चुनाव जितने के लिये आतंकी हमले तक करावा रही है. हमारे जवानो को मारवा रही है. उसके सारे सबूत मौजूद है. बस एक एक प्रकरण बाहर निकालकर अपराधीयों को कानून के दायरे सजा देना है. और वो काम ही भूषणजी का है. बस यह करो. संविधान और लोकतंत्र का आपको संरक्षण है, और संविधान और लोकतंत्र के संरक्षक भी आप ही है. बस आपकी जिम्मेदारी आप खुद्द पहचानो.
आज के समय मे भूषण गवई से कोई बडा नहीं है. ना राष्ट्रपती, ना प्रधानमंत्री, अगर राष्ट्रपती या प्रधानमंत्री भी कानून का उल्लंघन करते है, तो उन्हे उसका जबाब पूछने का अधिकार न्यायालय को है. देश की चुनाव व्यवस्था भ्रष्ट्राचारी बन गयी है. वो संघ के इशारेपर भाजप के काम करती है. वोट चोरी करके भाजप को देती है. यही हाल तपास यंत्रणा का भी है. ये सब आज के समय घटनाबाह्य कार्य कर रहे है. उसके सबूत भी मौजूद है. भूषणजी आज सर्वोच्चपद पर विराजमान है. बस वो संविधान के संरक्षक की अपनी जिम्मेदारी निभाये. ये धर्मांध शक्तीया, उसके ठेकेदार और गुलाम, बिकाऊ, भ्रष्ट्राचारी नोकरशाहा सलाखो के पिछे जायेंगे.
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राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता,महासचिव समाजवादी,
पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश