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युद्ध विराम से साबित हुआ, मोदी की संघी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपती ट्रम्प की कटपुतली…..!

युद्ध विराम से साबित हुआ, मोदी की संघी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपती ट्रम्प की कटपुतली.....!

युद्ध विराम से साबित हुआ, मोदी की संघी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपती ट्रम्प की कटपुतली…..!

*. पिछले ११ सालो मे २०० देशों का दौरा मोदींने किया, खुद को विश्वगुरु भी घोषित किया, पर वक्त आया तो दुनिया का एक भी देश भारत के साथ खडा नहीं हो पाया. और तो और एक दिन मे पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा देगे, ऐसी बडी बडी बात करनेवाले मोदी सरकार पाकिस्तान का कुछ भी उखाड नहीं पायी. पहलगाम हमले के बाद पुरा विपक्ष साथ मे होने के बाद भी मोदी की युद्ध निती, विदेश निती या सारी नितीया फेल हो गयी. एक डरपोक, निकम्मी पंतप्रधान के रूप मे मोदी की पहचान इतिहास मे दर्ज हो गयी है. अब कुछ भी करेंगे तो यह पहचान इतिहास के पन्नोसे मिट नहीं सकती. सच बात तो यह है की, पुलवामा, पहलगाम या और भी आतंकी हमले हो मोदी की संघ की अजेंडावाली सरकार कभी भी गंभीर नहीं लगी और ना गंभीर रही भी. इसबार सर्जिकल स्टाईक हो या युद्ध, लग रहा था की भारत सरकार पहिले दिन से ट्रम्प के आदेश से चल रही है. और यह सच भी है. भारत _पाकिस्तान युद्ध विराम की घोषणा मोदी ने नहीं बल्की अमेरिका के राष्ट्रपती ट्रम्पने की. और व्यापव्याप्त काश्मिर का मुद्दा भारत _ पाकिस्तान आपसी बातचीत और सहमती खतम करेगा. किसी दुसरे देश की जरूरत नहीं, यह भूमिका भारत की हमेशा रही है, पर मोदी की मजबुरीया या कमजोरी पकडकर इसमे भी दखल देने की बात ट्रम्प ने की है. इससे ऐसा लग रहा है की मोदी सरकार ट्रम्प की कटपुरतली बन गयी है. यह देश के सार्वभौमिकता के साथ यह एक बडी खिलवाड है.


पिछले ११ साल से देश का संविधान, देश का लोकतंत्र, संविधान और लोकतांत्रिक परंपरा के साथ संघ के रिमोट से चलनीवाली मोदी सरकार खिलवाड कर रही है. नफरत की राजनीती करने के लिये हिंदू _मुस्लिम अजेंडा चला रही है. इससे देश की एकता और अखंडता के लिये खतरा पैदा हो गया है. पर यह अंतर्गत मामले थे. अब तो मोदी सरकारने हद्द कर दी अमेरिका और ट्रम्प के दबाव मे आकर देश के सार्वभौमिकता से खिलवाड कर दी है. यह बहुत गंभीर मामला है. और देश इसके लिये संघ और मोदी को कभी भी माफ नहीं करेगा.
युद्ध बहुत मजबुरी मे लढा जाता है. युद्ध की तयारी या युद्ध करना कभी भी त्योहार नहीं होता. युद्ध कभी भी फायदे का सौदा नहीं होता. जेता हो या पराजित दोनों के लिये युद्ध नुकसानकारच होता है. एअर मार्शल भारतीने भी इस युद्ध मे भारत का भी नुकसान हुआ है, उसकी कबुली दी है. युद्ध को अंतिम पर्याय के हिसाब से देखना चाहिए. पहलगाम हमले का बदला लेने के लिये भारतीय सेना ने सर्जिकल स्टाईक किया, इसमे आतंकी अड्डे उध्वस्त किये, यहा तक सब ठीक था. करना जरुरी भी था. पर देश को युद्धखोर साबित करना देश के लिये घातक था. मोदी के नेतृत्व मे देश की ये छवी बनाने का काम मोदी के गोदी मिडियाने किया और वो पुरी दुनियाने देखा. आतंरराष्ट्रीय स्तरपर ये हमारे लिये बहुत बडा नुकसान करनेवाला और चिंताजनक मामला है. सर्जिकल स्टाईक के बाद भारतीय सेना शांत थी, पर युद्ध गोदी मिडिया लढ रही थी. कभी कराची, कभी रावळपिंडी तो कभी इस्लामाबाद पे मोदी की गोदी मिडिया हमले कर रही थी. पाकिस्तान को तबाह कर रही थी. पाकिस्तान को घुसकर मार रही थी. यही गोदी मिडिया सेना की प्रवक्ता भी बन गयी थी. संवेदनशील घडी मे यह गोदी मिडिया बेकाबू हो गयी होती. रोज पाकिस्तान को तबाह करके मोदी की आरती उतार रही थी. युद्ध जैसे संवेदनशील, चिंताजनक स्थिती मे यह मुर्खाता थी.
काश्मिर घाटी, लडाख या पाकव्याप्त काश्मिर की भूमी जन्नत से कम नहीं है. स्वर्ग, जन्नत काल्पनिक चित्र के रूप से हमारे सामने है, पर इस कल्पना का आविष्कार, असलियत जमीपर है, तो यह काश्मिर भूमी है. पर आतंकवादने उसे नरक बना दिया है. काश्मिर घाटी भारत का एक हिस्सा है. पर पाकव्याप्त काश्मिर ना पाक का हिस्सा है, ना भारत का. यह एक स्वायत्त भू भाग है. यहा ना पाकिस्तान का कानून चलता है ना भारत का. वहा एक सरकार है, पंतप्रधान है. पिछले ७५ साल मे ना पाकिस्तान पाकव्याप्त काश्मिर को अपना हिस्सा बना पाया ना भारत. या दोनो देश मिलके वहा शांती भो कायम नहीं कर पाये. पाकव्याप्त काश्मिर मे कब्जा करना कोई बडी बात भी नहीं है, भारतीय सेना के लिये कुछ घंटों का काम है. पर बडी बात यह है की वहा शांती कायम करना. कितनी सरकारे आयी और गयी, पर आजतक हम हमारे काश्मिर मे शांती बहाल नहीं कर पाये. काश्मिर की जनता आज भी अपने ही देश मे खुला श्वास नहीं ले पा रही है. फिर पीओकेपर कब्जा करके हम वहा की जनता को आजादी कैसे देगे ? यह सवाल है.
पीओके पर कब्जा करके वहा शांती कायम करना आज ना पाकिस्तान के बस मे है ना भारत के. दुसरी बात यह है की अगर हम या पाकिस्तान वहा कब्जा करेगा, तो दुनिया की मान्यता भी मिलना जरुरी है, और वो बहुत मुश्किल है. यह बात बिना समजे ही हमारे देश का गोदी मिडिया एक दिन मे पाकव्याप्त काश्मिरपर कब्जा की बात करता है. यह मुर्खाता है. हा उसका हाल आपसी बातचीत और वहा की जनता को विश्वास मे लेके यह संभव है. पर मोदी सरकार का अजेंडा ही मुस्लिम विरोध का है , इस धर्म निरपेक्ष राष्ट्र को यह संघी सरकार हिंदू राष्ट्र बनाने चली है. ऐसे मे यहा की जनता भारत मे क्यू आयेगी ? यह भी सवाल है.
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से बातचीत की पहल होनी चाहिए थी, जो नहीं हुई. अगर विपक्षी दल बातचीत की बात करते, तो मोदी उसका फायदा उठाकर विपक्ष को बदनाम करते, इसलिये युद्ध की भाषा ही खुद विपक्ष ने की और मोदी बॅकफुटपर आ गये. ऐसे वक्त नहीं चहाकर भी सरकार को युद्ध की भाषा करनी पडी. पर अमेरिका का भारी भरकम विरोध भी सरकार को झेलना पड रहा है.
पुलवामा हमला और सर्जिकल स्टाईक के बाद देश मे मोदी सरकारपर बहुत सारे सवाल देश मे उठे थे. वो सवाल तब भी सही थे और आज भी सही साबित हुये. आज फिर पहलगाम हमले के बाद सवाल उठे. अगर उस वक्त उठे सवाल को सरकार गंभीरता से लेती तो पहलगाम घटना ही नहीं होती. तब जो सवाल उठे थे, उसमे सुरक्षा को लेकर महत्त्वपूर्ण सवाल थे. और आज भी सुरक्षा को लेकर ही सवाल उठे. पर सरकार तब भी गंभीर नहीं थी और आज भी गंभीर नहीं है.

देश सुरक्षित हातो मे नहीं है….

देश की अंतर्गत सुरक्षा हो या बाह्य सुरक्षा हो, देश की सीमा हो. देश कही पर भी सुरक्षित नहीं है. चीन ४० किलो मिटर अंदर घुसकर गाव के गाव बसा रहा है और सरकार को खबरतक नहीं है. आतंकी आधुनिक शस्त्र के साथ आराम से सीमापार करके देश मे घुस जाते है. आतंकी घटना को अंजाम देते है. फिर आराम से निकल जाते है. सरकार को खबर तक नहीं है. भले ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान मे घुसकर आतंकी अड्डे उध्वस्त किये है, पर देश मे छुपे आतंकीयोंका पत्ता ना सरकार को है, ना सेना को. तो खतरा कायम है ही. बाकी चर्चा तो यह भी है की, देश मे जो आतंकी घटना हो रही है, उसको संघ परिवार ही फँडिंग कर रहा है. ये खबर सरकारी तपास यंत्रणा के हवाले से निकलकर आ रही है. ये अगर सच है, तो देश बिलकुल सुरक्षित हातों में नहीं है.
सरकार ट्रम्प के भारी दबाव मे है. दबाव के कारण ही युद्ध विराम की घोषणा मजबुरी मे करनी पडी. बाकी पाकव्याप्त काश्मिर मे या पाकिस्तान मे सर्जिकल स्टाईक के बाद पाकिस्तान का नुकसान हुआ. इसमे कितने आतंकी मारे गये ? आतंकवाद की कमर तोंडी गयी की नहीं, उसका अधिकृत कोई जवाब ना सरकार दे पा रही है, या सेना. बाकी युद्ध विराम के घोषणा के बाद देश मे आज भी मातम का माहोल कायम है. चिंताजनक स्थिती कायम है. पर पाकिस्तान मे खुशी की लहर दौड रही है. उसका कारण क्या है. क्या पाकिस्तान अपनी युद्ध निती और विदेश निती मे कामयाबी हसील कर पाया है ? और भारत सरकार की युद्ध निती और विदेश निती का फेल होने से खुश होकर जश्न मना रहा है. कुछ भी हो देश मे मायुसी का माहोल है, और उसकी जिम्मेदारी मोदी सरकार की है.
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राहुल गायकवाड,
महासचिव, समाजवादी पार्टी,
महाराष्ट्र प्रदेश

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