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ये योगी सरकार है, जिसने मायावती के धन्यवाद का जबाब एक दलित छात्रा से बलात्कार करके दिया गया……!
मायावती की क्या मजबुरी है की, वो चुप्पी तोडने के बाद संविधान बदलनेवाले के साथ और संविधान बचानेवाले के विरोध मे खडी हुई.....!
कांशीराम की पुण्यतिथी के अवसरपर बहन कुमारी मायावती की ” भाजप बचाओ रॅली ” रेकॉर्ड तोड थी. कई समय से चुप्पी साधी मायावती सडकपर उतरी तो संविधान बदलनेवालो के साथ और संविधान बचानेवालों के विरोध मे खडी दिखी. भाजप सरकार का धन्यवाद मायावतीने बार बार किया, तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाणा साधा. चंद्रशेखर आझादपर भी उन्होंने टिका टिप्पणी की. रेकॉर्ड तोड रॅली मे जिस अंदाज से मायावतीने भाषण दिया, ऐसा लग रहा था की, ये समाजवादी पार्टी के खिलाप भाजप प्रायोजित रॅली है. रैली के लिये पुरे उत्तर प्रदेश से राज्य परिवहन की बस योगी सरकारने डिझेल के साथ दी. मायावती की रैली मे किसी भी तरह ही बाधा नहीं आनी चाहिए, ये आदेश योगी ने प्रशासन को दिये थे, तब तो मायावतीने योगीजी का धन्यवाद किया. मायावती जिनको बहुजननायक और मसिहा मानती है, उस कांशीराम की पुण्यतिथी और मायावती के रैली के दुसरे दिन योगी राज मे एक अकरावी की छात्रा के साथ बर्बतापूर्वक बलात्कार हो गया. मायावती के धन्यवाद का जबाब योगी राज मे ऐसा दिया गया.
कई समय चुप्प रहने के बाद इस अंदाज मे सडकपर उतरना क्या मायावती और उसके दल की मजबूरी थी.तो उसका जबाब भी मजबूरी थी, यही है. 2014 और २०२४ के लोकसभा चुनाव मे मायावतीने अपने दल बसपा का फायदा नहीं देखा. भाजप को फायदा पोहचाया. २०१९ के लोकसभा चुनाव मे समाजवादी से गठबंधन किया, और लोकसभा की दस सीट बसपा के झोली मे आ गयी. २०१७ मे और २०२२ के विधानसभा चुनाव मे भी मायावतीने किसी भी राजनैतिक दल से गठबंधन किये बिना चुनाव लढा और भाजप को फायदा पोहचाया. बसपा को २०१७ के विधानसभा चुनाव मे ७ सीट मिली, तो २०२२ मे केवल १ सीट मिली. भाजप को फायदा पोहचाने के चक्कर मे कांशीरामने अपार मेहनत से बनाया बसपा राजनैतिक दल को खतम करने काम मायावतीने किया. २०२४ के लोकसभा चुनाव मे भी बसपा का यही हाल हुआ. खाता तक नहीं खुला. अब २०२७ के चुनाव मे भी यही हाल होना है.
वोट चोरी और वोटर लिस्ट मे गडबडी के बाद नैतिकता खो चुकी भाजपाने करवाई मायावती की रैली…..!
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव मे अभी बहुत वक्त है. फिर मायावतीने बेवक्त रॅली क्यू की ? यह सवाल है. और उसका जबाब ये है की, वोट चोरी और बिहार मे वोटर लिस्ट मे चुनाव आयोग से गठबंधन करके भाजपने जो गडबडी की, वो सबूत के साथ पकडी गयी, साबित हुई. तो पुरा बिहार वोट चोरी और वोटर लिस्ट मे गडबडी के खिलाप भाजप के विरोध मे सडक पर उतरा. लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य और सहयोगी दल के नेतायों ने मोदी और भाजप को जनता के अदालत मे जाकर वोट चोर साबित किया. पर उसकी सफाई तक भी मोदी, शहा, भाजप का आयटी सेल नहीं दे पा रहा है. वोट चोरी और वोटर लिस्ट गडबडीने मोदी और उसकी पुरी टीम को मुंह दिखाने लायक भी नहीं छोडा. इतना ही नहीं एनडीए के सहयोगी दल भी चूप है. ऐसे वक्त मतदाता और जनता को भ्रमित करने के लिये मोदी और भाजप को किसी राजनैतिक दल की आवश्यकता थी. पर कोई नहीं मिल रहा था. तो मायावती को पकडकर लाया गया है. मायावती की रैली उसका ही नतिजा है. भाजपाने करवाई है मायावती की रैली.
अगर यह सच नहीं है, तो मायावती केंद्र व उत्तर प्रदेश के बुलडोझर नाम से कुप्रसिद्ध योगी बाबा की सरकार का समर्थन नहीं करती. धन्यवाद नहीं करती. अपने विरोध मे हो रहे वोट चोरी के आरोप से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है मायावती का सक्रीय होना और रैली निकालाना. उतर प्रदेश मे दलितोंपर अन्याय, अत्याचार की घटना बढ रही है. सरकारी नोकरी मे आरक्षण व्यवस्था प्रभावित की जा रही है. प्रतिक्षत के प्रमाण मे आरक्षण नहीं मिल रहा है. संविधान बदलने का कार्यक्रम पुरे देशभर भाजप का अजेंडा है. योगी का चेहरा हमेशा मनुवादी रहा है, ऐसे मे मायावती अगर सरकार का धन्यवाद करती है, तो मायावती कितनी मजबूर है. ये समजना बहुत मुश्किल नहीं.
पिछले लोकसभा चुनाव मे भाजप को केवल 43.69% वोट मिले. उसके पहिले 2019 मे भाजप को 52.88 % वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के नेतृत्व मे इंडिया आघाडीने संविधान बचाव का मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया, तो भाजप का वोट दस प्रतिक्षत गिर गया. और समाजवादी पार्टी को सन 2019 के चुनाव 24. 47% वोट मिले थे. पर संविधान के मुद्देने समाजवादी और इंडिया आघाडी स्वीफ करते हुये पिछले लोकसभा चुनाव मे भाजप के बराबर 43.52 % वोट मिले. इससे भाजप का बहुत नुकसान हुआ. 2019 चुनाव मे भाजप के 64 लोकसभा सदस्य चुनाव जीते थे,लेकिन समाजवादी का वोट बढने से ये आकडा आधा हुआ और भाजप 33 सीट पर सिमिट गयी. 400 पार का नारा देकर चुनाव मैदान मे उतरी भाजप को उत्तर प्रदेश की जनताने जोर का झटका देते हुये 33 सीट पर रोक दिया. संविधान बचाव मुद्देने बसपा के वोट इंडिया आघाडी को मिले इसके लिये भाजप की करारी हार हुई. भाजप और संघ ये जानता है, इसलिये मायावती को ऊर्जा देकर बहुजन के वोट फिर से मायावती को मिले, यह कोशिश मायावती से जादा भाजप करेंगे. इसके लिये मायावती जो भी चाहिगी, वो सब करने के लिये भाजप खडी रहेगी. कल की रॅली उसका ही एक भाग था.

रैली के बाद मायावती और भाजपा अंतर्गत गठबंधन की चर्चा जोर पर……!
कांशीराम के पुण्यतिथी के अवसर पर मायावती ने भाजप के साथ अंतर्गत साठगाठ करके संविधान विरोधी शक्ती को बल देने का काम भी किया है. मनुवाद के खिलाप बहुजन समाज को एकजूट करनेवाले कांशीराम के आंबडेकर मिशन से मनुवाद विरोध का अजेंडा मायावतीने कब का हाटा दिया है. मनुवाद का विरोध आज बसपा और मायावती के अंदर नाम के लिये भी नहीं बचा है. यह अब उत्तर प्रदेश का दलित और बहुजन समाज भी जान रहा है. इसलिये मायावती और भाजप की ये अंतर्गत साठगाठ उत्तर प्रदेश कि धरतीपर कामयाब नहीं होगी. पर कुछ नुकसान तर जरूर करेंगी. मायावती की रैली के बाद चर्चा भी बहुत हो रही है. चर्चा तो भिड की भी हो रही, और भिड भाजपने भाडेसे लाई थी. ये भी चर्चा हो रही है. गोदी मिडिया छोडकर कोई भी मायावती के रैली का गुणगान नहीं गा रहा है.
चर्चा तो यह भी हो रही है की, मायावती की क्या मजबुरी है की, योगी सरकार के गुणगान कर रही है. भाजप सरकार फिर वो केंद्र की हो या उत्तर प्रदेश की, संविधान के विरोध मे काम कर रही है. सरकार का आरक्षण व्यवस्था को विरोध है. दोनो भी सरकारे संवैधानिक संस्थायों को खतम कर रही है. उत्तर प्रदेश मे दलितों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. संविधान और लोकतंत्र के विरोध मे संघ और भाजप के नेता जाहीर विरोध कर रहे है. संघ, भाजपा का ये अजेंडा होने के कारण ऐसे नेतापर कोई कारवाई भी सरकार नहीं कर रही है. ऐसे स्थिती मे सरकार का धन्यवाद कोई आंबेडकर विरोधी ही कर सकता है. और इसी तरह मायावती की भी प्रतिमा अब बन रही है. मतलब आंबेडकरवादी से आंबेडकर विरोधी प्रतिमा बन रही है.
मायावती की रैली मे ” आय लव्ह मोहम्मद” I Love Mohmmmad ” के पोस्टर और बॅनर भी लगे थे. मतलब मुस्लिम समाज को भ्रमित करने का एक षड्यंत्र भी इसके पिछे है. पर पुरे देश मे और उत्तर प्रदेश मे भाजप की सरकार का मुस्लिम समाज के प्रति क्या व्यवहार है, यह केवल देश ही सारी दुनिया भी जानती है. अगर मायावती को मुस्लिस समाज के प्रति जरा भी हमदर्द होता तो, वो मोदी और योगी सरकार के मुस्लिश विरोधी अजेंडे को कटघरे मे खडा करती. पर उसने किया नहीं. भाजप के लिये वो अपने रेली मे धन्यवाद देने के शिवा कुछ भी नहीं बोली. आज मुस्लिम और दलित वोट की ठेकेदारी समाप्त हो गयी है. यह ठेकेदारी फिर से हसील कर भाजप को लाभ पोहचाना यह मायावती का आज का अजेंडा है. वो मजबुरी मे या स्वार्थ मे लिया गया हो, पर यही अजेंडा मायावती का रहेगा. और बसपा को २०२७ के चुनाव मे भी यही भारी भक्कम हार मिलेगी……!
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राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता, महासचिव समाजवादी पार्टी,
महाराष्ट्र प्रदेश