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वोट चोरी के खिलाफ अखिलेश यादव के संघर्ष ने जेपी के ” संपूर्ण क्रांती ” आंदोलन की याद दिलायी….!
वोट चोरी के खिलाफ आंदोलनने आखिर खामोश सडकों की चुप्पी तोड दी....!
अब नकाब उतर गया, देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चोरी के वोट से प्रधानमंत्री बन गये, ये साबित हो गया. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुरे सबुतों के साथ वोट चोरी के आरोप किये. देश मे हडकम्प मच गया. और विपक्ष दल/ इंडिया आघाडी के सभी सांसद सडकपर उतर गये. देश की सुनसान सडकों ने अपनी खामोशी तोडी. शहर हो या गाव, चाय की टपरी हो, या गाव के चौपाल, शहर के नाके हो, हर जगह वोट चोर मोदी की बात हो रही है. देश का प्रधानमंत्री चोर है, ये हर जगह यही बात हो रही है. वहा दिल्ली मे संसद भवन से लेकर हर जगह वोट चोरी की बात हो रही है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादवने पोलिस का घेरा तोडकर आवारा संसद और प्रधानमंत्री के खिलाफ बिगुल बजा दिया. खामोश जनता को ” मैं हूं ना ” यह विश्वास दिया. देश, देश का संविधान और लोकतंत्रपर आच नहीं आने देगे, यह समाजवादी नेता अखिलेश यादवने फिर एकबार देश को अपने संघर्ष से बताया. अखिलेश यादव के संघर्ष ने जेपी के नेतृत्व मे हुये ” संपूर्ण क्रांती” के आंदोलन की याद दिलायी. वोट चोरी के इतने सारे सबूत और देशभर हो रही चर्चा, आंदोलन के बाद एक पलभर भी पदपर रहने का अधिकार मोदी को नहीं है. पर उनके अंदर बिलकुल भी नैतिकता नहीं है.
आजादी के ६५ साल मे देशने जो भी विकास और तरक्की की, उसे बेचकर संघ,मोदी के नेतृत्व मे सरकार बनाते रहा. अपनी सरकार बनाने और बचाने के लिये वोट चोरी के साथ साथ विधायक, संसद की खरेदी विक्री का बजार भी लगाया, पुलवामा, पहलगाम जैसी आतंकी घटना को भी अंजाम दिया गया. भारतीय सेना के जवानों को भी शहीद करने का महापाप मोदी ने सत्ता के लिये किया. देशद्रोही ही देशभक्त होने का नाटक अधिक प्रभावी ढंग से करता है, यह भी देश की जनता ने देखा. मोदी का हिटलरवाला रूप भी पुरी दुनिया के सामने आया. मोदी हिटलर के रस्तेपर ही चल रहा है. इसलिये मोदी सरकार से देश के संविधान और लोकतंत्र को खतरा है, यह साबित करने मे विपक्ष दलों को अब जाकर कामयाबी मिली. अखिलेश यादव के संघर्ष ने तो जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व मे १९७४ मे हुये संपूर्ण क्रांती आंदोलन की याद दिलायी. और यह बात भी सही है की, सत्ता और मौजुदा राजनैतिक व्यवस्था बदलने के लिये फिर से किसिको जेपी और व्हिपी बनना चाहिए.
अगर वोट चोरी की बात करे तो सबसे जादा नुकसान समाजवादी पार्टी को ही उठाना पडा है. २०२४ के लोकसभा चुनाव मे पार्टी के २० से जादा उमेदवार वोट चोरी के शिकार हो चुके है. अगर वोट चोरी नहीं होती, तो उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के ५५ या ६० लोकसभा सदस्य रहते. विधानसभा चुनाव मे भी दो बार वोट चोरी करके ही भाजपने अपनी सरकार बनायी है. समाजवादी पार्टी से बिना वोट चोरी करके भाजप लढ भी नहीं सकती. अगर लढेगी तो कहा गायब हो जायेंगी पत्ता भी नहीं चलेगा.
चुनाव आयोगपर इससे पहिले भी सवाल उठे है, पर मामले इतने गंभीर नहीं थे….!
संविधान और लोकतंत्र व्यवस्था मे हर संवैधानिक संस्था ने अपने दायरे मे ही कार्य करना है, पर जब से मोदी के नेतृत्व मे केंद्र मे सरकार बनी है, तब से दिखायी नहीं देता. आजादी के ७५ साल मे बार बार इन संस्थायों के कार्य प्रणाली पर सवाल जरुर उठे है. राष्ट्रपती, राज्यपाल , न्याय पालिका, तपास यंत्रणा, चुनाव आयोग से लेकर अन्य सभी संस्थायोंपर समय समय पर सवाल उठे है . इन संस्थायों ने सरकार या तत्कालिन पंतप्रधान के दबाव मे संविधान से हटकर, संवैधानिक परंपरायों को तोडकर प्रधानमंत्री के प्रभाव मे काम किया है. ये केवल मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से नहीं हो रहा है, देश के पहिले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के जमाने से हो रहा है. फरक इतना है, की अब ये संस्थाए संवैधानिक ढाचे से नहीं केवल मोदी के इशारे पर ही कार्य कर रही. इसलिये इन संस्थायोंपर अधिक सवाल उठ रहे है. विरोधी पक्षनेता राहुल गांधीने पुरे सबूत के साथ चुनाव आयोग और भाजप के गठबंधन की पोल खोल दी है. और फिर एक नारा दिया है ” नरेंद्र मोदी वोट की चोरी करके प्रधानमंत्री बने है…!
लोकतांत्रिक व्यवस्था मे विरोधी पक्षनेता एक अहम और महत्त्वपूर्ण रोल होता है. चुनाव आयोग उनके आरोपों नजरअंदाज नहीं कर सकता.अगर कर रहा है, तो वो सरकार के दबाव काम कर रहा है. अपना कर्तव्य और दायित्व नहीं निभा रहा है. ये स्पष्ट है. पिछले एक दशक से चुनाव आयोग भाजपा के लिये काम कर रहा है. कर्नाटक के महादेवपुरा में एक १० बाय १० के कमरे मे ८० मतदाता पाये गये, जो संभव नहीं ही. फर्जीवाडा है. मुंबई के दहिसर मे एक ही सिरीयल मे ८० वोट पाये गये. बाप एक ही है. और मतदाता की आयु लगबग सेम टू सेम है. मौजुदा मतदाता सूची मे ये नाम मिले है, विरोधी पक्ष नेता राहुल गांधीने उसके सबूत दिये, है और उसकी जाच करने की मांग चुनाव आयोग को की है, पर चुनाव आयोग ये करने के लिये तयार नहीं है. इससे यही साबित होता है की घोटाला हुआ है, वो भी अनजाने मे नहीं, जानबुजकर किया गया है. भाजप को लाभ पोहचाने के लिये चुनाव आयोग ने ये सब किया है.
राहुल गांधीने सबुतो के साथ आरोप करने के बाद देश मे हडकम मची है. चोरी के वोट से मोदी प्रधानमंत्री बने है, यह भी अब साबित हुआ है. हर कोई वोट चोरी के बारे मे बोल रहा है, और चुनाव आयोग और भाजप के गठबंधन को स्वीकार कर रहा है. पूर्व चुनाव आयोग आयुक्त, पूर्व न्यायाधीश वोट चोरी को स्वीकार कर रहे है. इतना ही नहीं भाजप के वरिष्ठ नेता, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, कट्टर संघी और विद्यमान केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरीने भी वोट चोरी के राहुल गांधी के आरोपों को सही ठहराया है. केवल मोदी ही वोट चोरी से प्रधानमंत्री बने है, ऐसा भी नहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी वोट चोरी से ही मुख्यमंत्री बने है. गडकरी और फडणवीस दोनो नागपूर के है, दोनो भी संघी है, पर गडकरी को हराने के लिये उनके क्षेत्र के वोट काटे गये. उनके नजदीकी और परिवारिक वोटों को भी वोटर लिस्ट से गायब कर दिया. यह बात गडकरी खुद बोल रहे है. अगर अपने ही पार्टी के सर्वोच्च नेता को हराने के लिये भाजप और संघ चुनाव आयोग से साठगाठ करके वोट की हेराफेरी कर सकता है, तो खुद की सरकार बनाने के लिये क्यू नहीं कर सकते. कई राज्यों के मुख्यमंत्री वोट चोरी से ही मुख्यमंत्री बने है. नहीं तो देश बेचनेवालों को वोट कोन और क्यू देगा.
नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस इसबार ही नहीं, इससे पहिले भी वोट की चोरी से ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बने थे. उत्तर प्रदेश का भगवाधारी बाबा भी वोट चोरी से ही मुख्यमंत्री बना है. भाजप और संघ आज वोट चोरी करनेवाली एक गँग/ गिरोह बना है. भारतीय लोकतंत्र और संविधान में अगर कोई अनमोल चीज है, तो वो है वोट का अधिकार. भारतीय संविधान ने हर भारतीय नागरिक को एक वोट का अधिकार दिया है, और हर भारतीयोंके वोट का मुल्य एक समान रखा है. यही वोट लोकतंत्र को नियंत्रित करता है, और देश को चलता भी है. उससे पत्ता चलता है, हमारे लिये वोट की अहमियत क्या है, मोदी और फडणवीस जैसे चोर उसे ही चुरा रहे है…..! यह बहुत बडा देशद्रोह है…..!
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राहुल गायकवाड,
महासचिव समाजवादी,
पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश