- 148
- 1 minute read
अब बस ssss ! अब नहीं चलेंगा ssss ! वर्ण वर्चस्ववादी व्यवस्था के विरुद्ध अखिलेश यादव लढेगें आरपार की लढाई…..!
जुता हमला एक व्यक्तीने, एक व्यक्तीपर नहीं, बल्की ब्राह्मणी सोच, मानसिकता, और संघी व्यवस्थाने देश संविधान और लोकतंत्रपर किया है.....!
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई पर हमला केवल न्याय व्यवस्था के सर्वोच्चपद पर बैठे एक व्यक्ती के उपर का हमला नहीं है. यह हमला संविधान, लोकतंत्र , धर्मनिरपेक्षता और देशपर किया गया हमला है. और ये हमला कोई एक व्यक्ती ने किया हुआ हमला भी नहीं है, ये वर्ण व्यवस्था के पक्षधर ब्राह्मणी व्यवस्थाने सोची, समजी रणनिती के तहत किया हुआ हमला है. और हमारे देश के प्रधानमंत्री इस घटना को सामान्य रूप से देखते है. एक प्रेस वार्ता भी करने की जरूरत उन्हे नहीं लगी. एक ट्विट करते हुए इस नीच, देशद्रोही कृत्य और उसे अंजाम देनेवाली मानसिकता का विरोध या निषेध भी सही तरीके से नहीं करते. गवई को ही समजाते है. प्रधानमंत्री पदपर बेठे व्यक्ती की यह भूमिका ही निषेध करने के लायक है. इससे यह साबित हुआ है की, घटना को अंजाम देनेवालों को मोदी बढावा दे रहे है. यह उनके ट्विट से स्पष्ट हो रहा है.
इस घटना की निंदा तो दुनियभर मे हो रही है. पर देश की न्याय व्यवस्था के प्रमुख पर हुआ ये हमला देशपर हुआ हमला होने के बावजूद बहुत ही सौम्य तरीके से निंदा हो रही है. जैसे कोई छूट पुट घटना हो. देश के जनता के अंदर जो गुस्सा दिखना चाहिए था, वो नहीं दिख रहा है. हिंदुत्ववादी विचारधारा जो देश के विकास मे बाधा बनकर पिछले एक दशक से उभरकर खडी हो गयी है, उसके खिलाप माहोल बनाने का मोका विपक्ष दल को मिला था. संघ, भाजप, मोदी और सरकार को घेरने का भी अवसर था, पर पुरा विपक्ष विफल हो गया है. क्या मजबुरी है की विपक्ष ऐसे मोके छोड रहा है. लोकसभा मे विपक्ष नेता राहुल गांधी भी इस घटना को सही ढंग से नहीं उठा पाये. जबसे भूषण गवई मुख्य न्यायाधीश बने है, तब से उनके उपर हमले हो रहे है. उनका विरोध हो रहा है. ब्राह्मणी धर्म की जितनी भी संस्थाने है, वो एक दलित, आंबेडकरवादी मुख्य न्यायाधीश बने, ये वास्तव नहीं पचा रहे है. ब्राह्मणी व्यवस्था को यह हजम नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिती मे ब्राह्मणी व्यवस्थापर विपक्ष ने अधिक ताकद से हमलावर होना चाहिए था. पर ये भी तो नहीं हुआ. विपक्ष भी हिंदू वोट के चक्कर मे फसा हुआ है. यही उससे साबित हो रहा है.
जुतेवाली सोच और मानसिकता तो खुद्द प्रधानमंत्री मोदी की भी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजप और परिवार की सोच और मानसिकता भी यही है. ये हमला केवल राकेश किशोरने नहीं किया, यह हमला नरेंद्र मोदी और संघ, भाजप की मानसिकता , अजेंडा और विचारधाराने किया है. इसलिये ये घटना मोदी को सामान्य से भी सामान्य लगती है, केवल निषेध करके कुछ नहीं होनेवाला. अब इस राष्ट्र विरोधी शक्ती और मानसिकता के विरोध मे आरपार की लढाई लढने समय आया है, और ये ऐलान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादवने ये किया है.
वर्णीय प्रभुत्ववाद/वर्चस्ववादी मानसिकता, सोच, अवस्था से ग्रस्त शक्तीने इस घटना को अंजाम दिया गया है. ये सिलसिला पिछले 5000 सालो से चल रहा है , और PDA समाज उदार मन से उसको देख रहा है, झेल भी रहा है. पर अब नहीं. यह इशारा भी अखिलेश यादवने दिया.
बाकी ये घटना इतनी सामान्य नहीं है, जितनी मोदी, उनकी सरकार और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ साथ सारे विरोधी दल भी समज रहे है. सर्वोच्च न्यायालय मे, सर्वोच्च न्यायालय के सर्वोच्च पदपर बेठे व्यक्ती के उपर जुता फेकना सामान्य कैसे हो सकता है ? ये देशद्रोह है. नीच कृत्य है. इस देश मे संघ, भाजप के मानसिकता से ग्रस्त लोग ये नीच और देश विरोधी कृत्य पहिले भी कई बार खुलेआम कर चुके है , आज भी कर रहे है. और करनेवालों का संघ और परिवार से संबंध है, उनका सन्मान भी हो रहा है. उन्हे खलनायक नहीं नायक बनाया जा रहा है. इसलिये राकेश किशोर जैसे गटर के किडे भारतीय समाज मे पैदा हो रहे है.
देश के ८० टक्के हिंदुयों को फिर से गुलाम बनाना चाहता है संघ……
देश मे आज हिंदू मुस्लिम समाज मे तणाव और नफरत का माहोल है. देश बिक रहा है. दो गुजराती बेच रहे है और दो खरीद रहे है. २० टक्के उच्ची जाती के हिंदू अपने ही हिंदू भाई जो निचले जाती के है, जिन्हे पिछाडे और दलित, आदिवासी कहा जाता है, उन्हे गुलाम बना रहे है. २० टक्के उच्च जाती के हिंदू ८० टक्के निचे जाती के हिन्दुओं पर राज करके उन्हे गुलाम बना रहे है, यह भारत की आज की हकीकत है, और हम उस भारत को महान कह रहे है. हमे मनुस्मृती से चलनेवाले हिंदू राष्ट्र की जरूरत नहीं, हमे संविधान से चलनेवाले भारत की जरूरत है. पर आजादी के बाद देश मे संविधान व्यवस्था लागू होने के बावजूद ब्राह्मणी शक्ती और धर्म व्यवस्था शासन, प्रशासनपर कब्जा करके देश चला रहे है. ये शक्तिया मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद बेकाबू हो गयी है, और उसका नतिजा ही कल की जुता फेक घटना है.
संघ की स्थापना और उसके के तुरंत बाद संघ का जो व्यवहार रहा है, फिर वो आजादी आंदोलन के वक्त का हो, या गांधी हत्या का हो. संघ देश विरोधी अजेंडा लेकर ही खडा है. गांधी हत्या के बाद, तब के सरकारने संघ जेसे आतंकी संघटन को हमेशा के लिये बॅन करना चाहिए था. पर ये नहीं हुआ. उलट पक्षी काँग्रेस के सत्ताकाल मे भी ये बेकायदेशीर, संविधान, लोकतंत्र, तिरंगा ध्वज और अन्य प्रतिकों को न माननेवाले संघ जैसा आतंकी संघटन ताकदवर बन गया. आज इस संघटन ने पुरे देश के सामने कई समस्या खडी कि है. उनका मुकाबला करना आज मुश्किल हो गया है. ये शक्तिया खुलेआम और निडर हो कर देश विरोधी घटनायों को अंजाम दे रहा है.
अगर गांधी हत्या के बाद इस संघटन और विचारधारा पे लगा हुआ बॅन नहीं हटाया जाता, तो देश आज संकट मे नहीं होता. माफीवीर सावरकर वीर सावरकर नहीं होता. हत्यारा और दुनिया का पहिला आतंकवादी नथुराम गोडसे हिंदू समाज का हिरो नहीं होता. संघ ने पैदा किये नफरत के माहोल के खिलाप आज जो काँग्रेस लढ रही है, उसी काँग्रेसने ही संघ को मजबूत बनाने काम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप मे किया है. इसलीए मोदी हो या संघ, देश के साथ जो कुछ कर रहा है, उसकी जिम्मेदारी भी काँग्रेस की ही है. और काँग्रेस इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती.
……………..
राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता, महासचिव समाजवादी पार्टी,
महाराष्ट्र प्रदेश