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संविधान, लोकतंत्र और हिंदू राष्ट्र निर्मिती के बीच अब केवल डॉ. आंबेडकर और उनकी विचारधारा खडी है……!

संविधान, लोकतंत्र और हिंदू राष्ट्र निर्मिती के बीच अब केवल डॉ. आंबेडकर और उनकी विचारधारा खडी है……!

सावरकर और हिंदू महासभा ही देश के विभाजन और अखंड भारत के तुकडे करने के लिये जिम्मेदार .....!

 
    देश का विभाजन न हो और हिंदू मुस्लिम एकता बनी रहे, इसलिये पंडित जवाहरलाल नेहरूने बॅरिस्टर जीना को प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव 1942 मे दिया था, और महात्मा गांधी ने भी प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. पर ये प्रस्ताव जीना ने ठुकरा दिया. जीना अपने दोस्त माफीवीर सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रस्ताव पर काम कर रहे थे. ये तिन्हों ब्रिटिश सरकार के लिये काम कर रहे थे. सावरकर, श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जीना के सामने देश के विभाजन का प्रस्ताव था. विभाजन और पाकिस्तान की निर्मिती मुस्लिम हित मे नहीं, बल्की अखंड भारत मुस्लिम हित मे है, यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी जीना को कहा था. डॉ. आंबेडकर भी देश का विभाजन नहीं चाहते थे. पर डॉ. आंबेडकर, महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के लाख प्रयासो के बावजूद सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जीनाने देश का विभाजन करके ही दिखा दिया.
        देश के स्वतंत्रता आंदोलन मे मुस्लिम समाज की भागीदारी, हिस्सेदारी अहम थी. अगली कतार मे और शहादत देकर देश का पुरा मुस्लिम समाज आजादी का आंदोलन लढ रहा था. इंडिया गेट हमारा राष्ट्रीय स्मारक है. यहापर 95,300 शहिदों के नाम लिखे है, जिसने देश के लिये अपना बलिदान दिया. इन नामो मे 61395 नाम मुसलमानों के है. सिख 8050, पिछाडे 14480, दलित 10777, सवर्ण 598, गुजराती 06, मारवाडी 06, नाम है. इंडिया हमारी गर्व, हमारी बहादूरी का प्रतिक है. इस प्रतिक मे किसका क्या योगदान रहा है. यह स्पष्ट रूप से दिखता है. और देश अपने शाहिदों को कभी भी नहीं भुलता, इंडिया गेट उसकी सबसे बडी मिसाल है. जिने हिंदू राष्ट्र चाहिए, वो एकबार ये नाम पढे, फिर हिंदू मुस्लिम और हिंदू राष्ट्र का बुखार उतार जायेगा. 
           ब्रिटिश शासन और विश्वहिंदु परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,हिंदू महासभा, सावरकर और जीना की एकजुटता ने हिंदू मुस्लिम मे तणाव निर्माण करके स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने का बहुत प्रयास भी किया. पर काँग्रेस, गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू की देशभक्ती हमेशा हवी रही. आजादी मिलने तक यह एकता कायम रखी गयी. पर जैसे ही देश का पाकिस्तान और भारत इस दो हिस्से में विभाजन हो गया देश में दंगे हो गये. इसके पिछे भी यही हिंदुत्ववादी संघ, हिंदू महासभा, और विश्वहिंदु परिषद थी, और दंगा करनेवाले उन सारी धर्मांध शक्तीयों की प्रेरणा उस वक्त केवल सावरकर की ही थी.
          ब्रिटिश शासन आजादी के आंदोलन से हिंदू मुस्लिम को अलग करना चाहते थे, सावरकर और जीना इस लिये ब्रिटिश सरकार को मदत कर रहे थे. १९३७ के बाद सावरकर मे व्दि राष्ट्र के सिद्धांत पर काम कर रहे थे, उसका ही नतीजा था की, १९४० मे जीना के मुस्लिम लीगने अपने लाहोर अधिवेशन मे धर्म के नामपर अलग पाकिस्तान निर्मिती का प्रस्ताव पारित भी किया. फिर भी अखंड भारत की पैरवी करनेवाले हिंदुत्ववादी संघटन और उनके आक्का सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच तणाव निर्माण नहीं हुआ. बल्की १९४१ मे ही हिंदू महासभा मुस्लिंग लीग की फजलुल हक सरकार मे सामिल हो गयी. इस सरकार मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी अर्थमंत्री थे. यह साबित करता है की, अलग पाकिस्तान की मुस्लिम लीग मांग और विभाजन के पक्ष मे सावरकर, जीना, हिंदू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ भी था.
         
 गांधी , नेहरू और डॉ. आंबेडकर अखंड भारत के पक्ष मे अखेर तक खडे थे…..!
 
           पंडित जवाहरलाल नेहरूने जब जीना को अखंड भारत के प्रधानमंत्री पद प्रस्ताव दिया था, उससे पहिले डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरने जीना को प्रत्यक्ष मिलकर कहा था की, अलग पाकिस्तान नहीं, अखंड भारत मुस्लिम के हित का रहेगा. विभाजन के 7 साल की पहिले की यह घटना है. अगर जीना डॉ. आंबेडकर की यह बात मानते और नेहरू का प्रस्ताव मान्य करते, तो आज भारत की स्थिती कुछ अलग और आजसे जादा बेहत्तर रहती.
          1940 के बाद देश अंतर्गत ही नहीं जागतिक स्तर पर राजनीति बदल रही थी. दुसरे महायुद्ध का दौर था. ब्रिटिश प्रत्यक्ष रूप से इस महायुद्ध का हिस्सा था. उसी वक्त संधी का फायदा उठाकर महात्मा गांधी और नेहरू के नेतृत्व मे भारत छोडो आंदोलन सुरु हुआ. आजादी निर्णायक मोपर आकार मन खडी हॊ गयी थी. तब ब्रिटिश सरकार के लिये काम करनवाले सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व मे हिंदुत्ववादी संघटना और जीना के नेतृत्व मे मुस्लिम लीग साथ मिलकर भारत छोडो आंदोलन का विरोध कर रहे थे. उसी वक्त देश के विभाजन की निव डालनवाला द्वि राष्ट्र का सिद्धांत सावरकर ने लाया, और जीना ने विभाजन के साथ अलग राष्ट्र की मांग की. भारत छोडो आंदोलन के तुरंत बाद ब्रिटिश सरकारने अपना वफादार नोकर बी. एन. राव को जम्मू काश्मिर मे दिवाण बनाकर भेजा. और राव ने राजा हरिसिंग को विभाजन के वक्त भारत के विरोध मे खडा होने के लिये तयार किया. 1940 से 1947 के बीच का दौर बहुत अहम रहा है. आजादी मांगने का और सही वक्त आ गया था. पर ब्रिटिश सरकार ने हिंदू मुस्लिम राजनीति का खेला खेलकर देश का विभाजन किया. और देश के भारत और पाकिस्तान दो तुकडे हॊ गये.
      
 सावरकर के द्वि राष्ट्र सिद्धांत मे छुपा है देश का विभाजन ….!
 
      सावरकर और हिंदू महासभा के व्दि राष्ट्रीय अजेंडा मे ही भारत का विभाजन छुपा है. पाकिस्तान की निर्मिती सच्चाई है. यह डॉ. आंबेडकरने अपनी पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन इस किताब मे विभाजन के 7 साल पहिले ही लिखा है. वो लिखते है…. हिंदू मुस्लिम एकता के लिये महात्मा गांधी ने खूप प्रयास किया. देश मे यही एकता अखंड भारत के लिये महत्त्वपूर्ण थी. पर सावरकर और हिंदू महासभा यह एकता और अखंड भारत को नहीं चाहते.
       सावरकर के द्वि राष्ट्र सिद्धांत का मतलब था की, भारत के दो तुकडे. एक मुस्लिम राष्ट्र और एक हिंदू राष्ट्र. जीना तो सावरकर और हिंदू महासभा के बेहकावे मे आकार मुस्लिम राष्ट्र की मांग कर चुके थे. ब्रिटिश सरकार ने इसी पर सूचना और काम करना भी सुरू किया था. अपना विश्वासू नोकर बी. एन. राव को इसलिये जम्मू काश्मीर का दिवाण बनाकर भेजा था. और उसने राजा हरिसिंग को पाकिस्तान मे सामिल होने के लिये तयार भी किया था. यह सच्चाई है. हिंदुत्ववादी कभी भी आजादी और अखंड भारत के पक्ष मे नहीं थे.. यह भी सच्चाई है. अगर विभाजन होकर पाकिस्तान बनता है, तो बाकी राष्ट्र हिंदू राष्ट्र होगा. यह सपना सावरकर का था. पर इस महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. आंबेडकरने ऐसा होने नहीं दिया. इसलिये सावरकर और हिंदुत्ववादी संघटन ने गांधी की हत्या की. गोडसे तो एक मोहरा है. असली प्लॅनर तो सावरकर ही है. वो केवल न्यायालय मे सबूत पेश नहीं किये गये, इसलिये इस हत्याकांड से बरी हो गये है. और सबूत पेश नहीं करना, यह भी उस वक्त की एक साजिश है, और काँगेस, गृहमंत्री सरदार पटेल उसके दोषी है.
     
 हिंदू राष्ट्र को हर हाल मे रोका जाना चाहिए…. डॉ.आंबेडकर 
 
        पाकिस्तान निर्मिती के बाद हिंदुत्ववादी संघटन हिंदू राष्ट्र की मांग जरूर करेगा, उसका डर डॉ. आंबेडकर जी को था. इसलिये उन्होंने कहा था…. अगर हिंदू राष्ट्र सच्चाई बन जाता है, तो उसमे कोई शक नहीं की, ये इस देश के लिये सबसे बडी विपदा होगी. हिंदू राष्ट्र को हर हाल मे रोका जाना चाहिए.
    देश का विभाजन और हिंदू और मुस्लिम राष्ट्र की निर्मिती सावरकर और हिंदुत्ववादीयों अजेंडा था. जिसे ब्रिटिशों का भी समर्थन था. तो गांधी, नेहरू, आंबेडकर अखंड भारत के पक्ष मे थे. हिंदू मुस्लिम एकता के पक्ष मे थे. पाकिस्तान निर्मिती के बाद तो पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र बन गये. पर भारत एक लोकतंत्र राष्ट्र बन गये. और सावरकर का सपना भंग हो गया. पर सावरकर के विचारों पर चलनेवाले संघ और हिंदू महासभा, विश्वहिंदू परिषद जैसे संघटन अपने अजेंडे पर काम करते रहे. आज भी कर रहे है. और सावरकर के सपने से अभी बहुत नजदीक भी है. आज देश के सामने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघने वो हर खतरा खडा किया है, जो लोकतंत्र, संविधान को खतम कर सकता है. और हिंदू राष्ट्र की निर्मिती कर सकता है. आज गांधी विचारधारा तहसनहस हो चुकी है. केवल आंबेडकर और उनकी विचारधारा लोकतंत्र और हिंदुराष्ट्र के बीच मे खडी है.
        हिंदू राष्ट्र पर चर्चा करना एक पागलपण है, यह उस आजादी के तुरंत बाद सरदार पटेलने कहा था. हिंदू राष्ट्र के विचार को हर हाल मे रोका जाना चाहिए, यह इशारा भी डॉ. आंबेडकरने दिया था. पर सत्ता के मस्ती मे और देश का हिंदू नाराज न हो इसलिये काँग्रेसने अपने सत्ताकाल मे सावरकर, संघ, संघ परिवार को संभाला. उनको मदत की. आज वो संकट बनकर देश के सामने खडे है. और देश किंमत दे रहा है.
…………. ……
 
राहुल गायकवाड,
प्रवक्ता, महासचिव समाजवादी,
पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश
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