• 37
  • 1 minute read

MY के नए वर्ज़न PDA की हक़ीक़त को समझिए…

MY के नए वर्ज़न PDA की हक़ीक़त को समझिए…

MY के नए वर्ज़न PDA की हक़ीक़त को समझिए…

PDA में सम्मिलित बहुजन समाज के सभी अंगों की संख्या अनुपात निकालें तब समझ आता है, मुसलमानों को ठगने का काम PDA कर रहा है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के डर से मुसलमानों को लगातार हाशिए पर धकेला जा रहा है। मुसलमानों को बस इतने में ही रखा जा रहा है कि देखो भाजपा हार रही है। छद्म सेक्युलरिज़्म मज़बूत हो रहा है।

PDA के छलावे की बात करते हैं टिकट वितरण के समय से——

-बताइए PDA में मुसलमानों का प्रतिशत अधिक है या कुर्मियों का? ज़ाहिर सी बात है मुसलमानों का। 20% मुसलमानों को सिर्फ़ 4 टिकट दिए और 8% कुर्मियों को 13 टिकट दिए।

ऐसा इसलिए हुआ PDA वालों को पता है कुर्मी समाज बिना भागीदारी के वोट नहीं करेगा, और मुसलमानों का क्या? अरे उन्हें भागीदारी दो या न दो जाएँगे कहाँ?

-बताइए PDA में अति पिछड़े ज़्यादा हैं या मुसलमान ज़ाहिर सी बात मुसलमान, मुसलमानों को कम टिकट और अति पिछड़ो को ज़्यादा।

अब लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने के पश्चात PDA ने जो छलावा मुसलमानों के साथ किया वो समझिए—

-PDA में मुसलमान ज़्यादा हैं या यादव? ज़ाहिर सी बात है मुसलमान।फिर लोकसभा में अखिलेश यादव नेता बन गए और राज्य सभा में रामगोपाल यादव।

-जब बात आई विधान परिषद में नेता बनाने की तो वहाँ भी यादव समाज को हिस्सा दे दिया।

-अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत सरोज साहब को बनाने की क़वायद चल रही है। PDA में पासी ज़्यादा हैं या मुसलमान?

मेरा सीधा सा सवाल है जो राजनैतिक दल उत्तर प्रदेश में हमारे समाज का सर्वाधिक एकतरफ़ा वोट लेता है सवाल भी उससे ही होगा, भागीदारी भी उसे ही देनी होगी।

उत्तर प्रदेश की मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियों में जिस तरह से मुस्लिम समाज विकल्पहीनता के कारण बेमन से उपेक्षा होते हुए भी PDA का बाजा बजा रहा है। तो ऐसी स्थिति में मुझे कांग्रेस, बसपा और मजलिस से भी शिकायत है। आप सबके होते हुए ये कैसे हो जा रहा है कि मुसलमान उपेक्षा के बावजूद PDA का बाजा बजा रहा है।

अगर PDA वालों को मुसलमानों के साथ इंसाफ़ करने और उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने में ध्रुवीकरण का डर सताता है तो फिर वोट क्यों लेते हैं?

इस मामले में बसपा और बहनजी की तारीफ़ बनती है उन्होंने सदैव जिसकी “जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के सिद्धांत का हमेशा अक्षरशः पालन करते हुए क्रियान्वयन किया है।

0Shares

Related post

7 नोव्हेंबर प्रज्ञासूर्य डॉ.बाबसाहेब आंबेडकर यांचा शालेय प्रवेश दिन

7 नोव्हेंबर प्रज्ञासूर्य डॉ.बाबसाहेब आंबेडकर यांचा शालेय प्रवेश दिन

7 नोव्हेंबर प्रज्ञासूर्य डॉ.बाबसाहेब आंबेडकर यांचा शालेय प्रवेश दिन. अस्पृश्यांच्या न्याय हक्कासाठी  गांधीजींना “मला मायभूमी नाही” असे.…
सत्ताधारी आणि विरोधक संविधानाशी बेईमानच! परिवर्तनवादी नव्या राजकारणाची गरज!

सत्ताधारी आणि विरोधक संविधानाशी बेईमानच! परिवर्तनवादी नव्या राजकारणाची गरज!

सत्ताधारी आणि विरोधक संविधानाशी बेईमानच! परिवर्तनवादी नव्या राजकारणाची गरज!      भारतीय संविधानाचे पहिले जाहीर उल्लंघन…
महाराष्ट्राला कफल्लक करणं, हीच शिंदे-फडणवीस सरकारची फलश्रुती !

महाराष्ट्राला कफल्लक करणं, हीच शिंदे-फडणवीस सरकारची फलश्रुती !

मोदी-शहा -फडणवीस या त्रिकुटामुळे महाराष्ट्र कफल्लक !        छत्रपती, फुले, शाहू अन आंबेडकर यांचा…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *