जो विद्यार्थी को अज्ञानी, उद्यम-विहीन या बेहुनर बनाती है.
समाधान नहीं होता. बेरोजगारी के विशाल संकट को देखते हुए ऐसे किसी भी नीतिगत प्रस्ताव को अंतिम नहीं बल्कि अंतरिम
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